प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' में देशवासियों से अपील की है कि इस त्योहारों के मौसम में 'मेड इन इंडिया' यानी भारत में
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में देशवासियों से अपील की है कि इस त्योहारों के मौसम में ‘मेड इन इंडिया’ यानी भारत में बने सामानों का इस्तेमाल करें। गणेश चतुर्थी से शुरू हुआ यह सीजन करीब दो महीने तक चलेगा और इसमें नवरात्रि, दशहरा, दिवाली और छठ जैसे प्रमुख त्योहार शामिल होंगे।
यह वह समय है जब बाजारों में चीनी सामानों की भरमार रहती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में लोगों का झुकाव स्वदेशी उत्पादों की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में इस बार भी चीन के लिए यह दिवाली ‘काली’ साबित हो सकती है।
मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को 10 साल पूरे हो गए हैं। इसका सीधा असर भारतीय बाजारों में दिखने लगा है। अब त्योहारी सीजन में लोग चीनी सामानों की बजाय भारतीय सामानों की खरीदारी को तरजीह दे रहे हैं।
अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (CAIT) के मुताबिक, राखी के त्योहार पर भी ग्राहकों ने चीनी राखियों की जगह स्वदेशी राखियों को प्राथमिकता दी। पिछले कई सालों से भारतीय बाजार में चीनी राखियों की कोई मांग नहीं है और इस साल भी स्थिति ऐसी ही रही।
पिछले साल की दिवाली पर ‘मेड इन इंडिया’ डेकोरेटिव लाइट्स ने चीनी लाइट्स को कड़ी टक्कर दी थी। भारतीय लाइट्स न सिर्फ ज्यादा टिकाऊ हैं, बल्कि कम रखरखाव की भी जरूरत होती है। इससे भारतीय बाजारों में उनकी मांग बढ़ी है।
एक व्यापारी ने बताया था कि “भारतीय कंपनियों ने भी फैंसी लाइट्स लॉन्च की हैं, जो भले ही महंगी हों, लेकिन लोग इन्हें इसलिए खरीद रहे हैं क्योंकि वे ज्यादा चलती हैं।”
भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध जटिल रहे हैं, लेकिन भारत लगातार अपने व्यापार घाटे को कम करने में सफल हो रहा है। 2023-24 में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 85.08 बिलियन डॉलर था, जो 2022 में 83.19 बिलियन डॉलर था। हालांकि यह घाटा अब भी बड़ा है, लेकिन 2014 से 2024 के बीच इसकी वृद्धि दर में कमी आई है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने राज्यसभा में बताया कि पिछले 10 वर्षों की तुलना में व्यापार घाटा कम तेजी से बढ़ा है।
प्रधानमंत्री मोदी की ‘वोकल फॉर लोकल’ मुहिम का असर साफ दिख रहा है। पिछले साल दिवाली सीजन के दौरान भारतीय बाजारों में 3.75 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड व्यापार हुआ, जिसमें चीनी सामानों का हिस्सा घटता जा रहा है।
CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा, “पहले 70 प्रतिशत बाजार चीनी उत्पादों का होता था, लेकिन अब लोग ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।”
भारत के बढ़ते स्वदेशी अभियान और लोगों की बदलती सोच को देखते हुए यह सवाल अहम हो गया है कि क्या आने वाले सालों में भी चीन के लिए हर दिवाली ‘काली’ साबित होगी?
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