कानपुर: बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री के बाद देश भर में एक और बाबा की खूब चर्चा होने लगी है. ये हैं उत्तर प्रदेश के कानपुर के संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली बाबा. उनपर उन्हीं के एक भक्त ने बाउंसरों से पिटवाने का आरोप लगाया है. जिसके तहत करौली बाबा के खिलाफ FIR भी दर्ज़ कर ली गई है. शिकायत दर्ज़ करवाने वाला शख्स नोएडा का निवासी है जो पेशे से डॉक्टर है. इसी कड़ी में अब करौली बाबा का एक नया वीडियो भी सामने आया है जिसमें उन्होंने इस पूरे मामले पर सफाई दी है. खैर इस समय वह सुर्खियों में बने हुए हैं ऐसे में ये जान लेना भी जरूरी है कि आखिर कौन है करौली बाबा उर्फ़ संतोष सिंह भदौरिया.
करौली बाबा यानी संतोष सिंह मूल रूप से उन्नाव के बारह सगवर का निवासी है जिसकी किस्मत उत्तर प्रदेश और पूरे देश में महेंद्र सिंह टिकैत के किसान आंदोलन के दौरान बदली. जिस समय टिकैत का किसान आंदोलन कानपुर में अपना सिर उठा रहा था उस दौरान धाकड़ किसान यूनियन नेता संतराम सिंह का मर्डर हो गया. इस हत्या के बाद किसान नेता टिकैत ने संतोष सिंह को ही कानपुर के सरसोल क्षेत्र की पूरी बागडोर सौंपी. जिस बीच पुलिस से किसान यूनियन के प्रदर्शन के दौरान उसकी भिड़ंत हो गई थी. जिसके बाद करौली बाबा कहलाने वाले संतोष ने उस समय कुछ किसानों को पुलिस कस्टडी से छुड़ा दिया था जिसे पुलिस ने प्रदर्शन के बाद जेल भेजा था. इन किसानों पर गुंडा एक्ट और गैंगस्टर लगाया गया था. जिसके बाद किसानों के बीच संतोष सिंह और लोकप्रिय हो गया. जहां से धीरे-धीरे उसकी किस्मत बदलती है.
यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे श्रीप्रकाश जायसवाल से संतोष सिंह भदौरिया अपनी नज़दीकियों के लिए काफी मशहूर रहा. उनको कोयला निगम का चेयरमैन बनाकर लाल बत्ती दी गई. लेकिन कुछ कोंग्रेसी नेताओं ने सवाल भी उठाए जिसके बाद संतोष सिंह को निगम से हटा दिया गया. कुछ समय तक यह गुमनाम रहा लेकिन करौली आश्रम बनाने के बाद वह एक बार फिर सुर्खियों में आ गया.
सबसे पहले एक जगह पर शनि भगवान का मंदिर बनाया गया जिसके बाद करौली बाबा ने इस आश्रम में आयुर्वेदिक हॉस्पिटल शुरू किया था. जिसमें आसपास के गांव वालों का जड़ी-बूटी से इलाज करने को लेकर कई दावे किए गए. इन दावों के प्रचलित होने के बाद यहां कामाख्या माता का मंदिर बनवाया. गुरु राधा रमण मिश्रा भी करौली आश्रम आकर रहने लगे. इसी दौरान संतोष भदौरिया ने तंत्र-मंत्र का प्रयोग करते हुए लोगों का इलाज शुरू कर दिया. इसी से यह धीरे-धीरे प्रचलित हो गए. जब उनके गुरु राधारमण विश्व की मौत हुई तो उन्होंने आश्रम में उनकी मूर्ति लगाई और वह करौली सरकार या करौली बाबा के नाम से मशहूर हो गया.
यू-ट्यूब के जरिए करौली बाबा का बिज़नेस और फला. इसी के बाद से करौली सरकार पर धन की वर्षा शुरू हुई और तीन साल के अंदर ही करोड़ों का साम्राज्य खड़ा कर लिया गया. 3 से 4 हजार लोग आज प्रतिदिन उनके आश्रम में पहुंचते हैं और पूर्णिमा पर यहां विशेष आयोजन होते हैं. यहां करौली सरकार का आशीर्वाद भी कुछ आसान या यूं कहें सस्ता नहीं है. इसके लिए सबसे पहले भक्तों को 100 रुपये की रसीद कटानी पड़ती है साथ ही करीब 5000 रुपये से ज्यादा का खर्च आता है. इतना ही नहीं अगर हवाएं करवाना है तो इसके लिए 50 हजार से एक लाख तक का खर्च आता है. पूजा सामग्री की दुकानें भी उन्हीं की अपनी हैं. बागेश्वर धाम की तरह यहां भी लोग अर्ज़ी लगाते हैं जिसका बागेश्वर धाम में कोई पैसा नहीं लगता लेकिन यहां रसीद लगती है.
हवन करने का मंत्र करौली बाबा यानी संतोष बाबा खुद देते हैं. इस हवन का खर्चा 50000 से लेकर 100000 तक हो जाता है. अगर कुछ खास करना चाहे तो खर्चे की कोई सीमा नहीं है. आश्रम में भी हैं. हवन करने का सामान भी आपको आश्रम से ही लेना पड़ेगा. यहां पर भक्त अपनी मनोकामना की अर्जी लगाते हैं, फर्क सिर्फ इतना है कि बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने का कोई पैसा नहीं लगता है, लेकिन यहां 100 रुपये की रसीद कटती है. इसके अलावा भी करौली बाबा के दरबार में कई खर्चे हैं जिसमें 4000 की किट और 15 दिन की पूजन विधि समेत कई चीज़ें शामिल हैं. अब ऐसे ही थोड़े भक्तों को बाबा का आशीर्वाद प्राप्त हो जाएगा. ख़ैर इस समय करौली सरकार उनके खिलाफ दर्ज़ हुई FIR को लेकर चर्चा में हैं.
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