महाराष्ट्र के अमरावती में महानुभाव आश्रम के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि धर्म का आचरण करना ही धर्म की रक्षा करना है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि धर्म हमेशा चलता रहता है, इसीलिए इसे सनातन कहा गया है।
मुंबई/नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने एक और बड़ा बयान दिया है। उन्होंने रविवार को कहा कि लोगों में धर्म का सही ज्ञान नहीं था, इसीलिए अत्याचार हुए।
महाराष्ट्र के अमरावती में महानुभाव आश्रम के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि धर्म का आचरण करना ही धर्म की रक्षा करना है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि धर्म हमेशा चलता रहता है, इसीलिए इसे सनातन कहा गया है।
इससे पहले बीते दिनों पुणे में संघ प्रमुख भागवत ने कहा था कि अब हमें अति को छोड़कर मध्य मार्ग पर चलने की जरूरत है। इसके साथ ही संघ प्रमुख ने देशभर में लगातार उठ रहे मंदिर-मस्जिद विवादों को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद अब कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि वो ऐसे मुद्दे उठाएंगे तो हिंदुओं के नेता बन जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं होगा। इसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
पुणे में सहजीवन व्याख्यानमाला में अपनी बात रखते हुए मोहन भागवत ने कहा कि अब भारत को यह दिखाने की जरूरत है कि हम सब एक साथ रह सकते हैं। हम बहुत लंबे वक्त से पूरी सद्भावना के साथ रहते आ रहे हैं। अब अगर पूरी दुनिया को हम यह सद्भावना दिखाना चाहते हैं, तो फिर हमें इसका एक मॉडल बनने की जरूरत है।
बता दें कि भागवत ने अपने संबोधन में किसी का नाम नहीं लिया। लेकिन उन्होंने कहा कि देश में हर दिन नया विवाद उठाया जा रहा है। इसे कैसे स्वीकार किया जा सकता है? इसकी अनुमति कैसी दी जा सकती है? उन्होंने कहा कि अभी हाल के दिनों में कई सारे मंदिरों का पता लगाने के लिए मस्जिदों के सर्वेक्षण की मांग उठी है, मामला अदालतों तक पहुंचा है। इसे बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता है।