हैदराबाद, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने आज राज्य में बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायज़ा लिया, यहाँ उन्होंने कहा कि राज्य के गोदावरी क्षेत्र में आई बाढ़ बादल फटने का नतीजा है. उन्होंने इसे कहा कि अंदेशा है कि ये दूसरे देशों की साजिश हो सकती है. बाढ़ प्रभावित भद्राचलम के दौरे पर राव […]
हैदराबाद, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने आज राज्य में बाढ़ प्रभावित इलाकों का जायज़ा लिया, यहाँ उन्होंने कहा कि राज्य के गोदावरी क्षेत्र में आई बाढ़ बादल फटने का नतीजा है. उन्होंने इसे कहा कि अंदेशा है कि ये दूसरे देशों की साजिश हो सकती है. बाढ़ प्रभावित भद्राचलम के दौरे पर राव ने संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि, “यह एक नई घटना है, जिसे बादल फटना कहा जाता है. लोग कहते हैं कि कोई साजिश है, लेकिन हम नहीं जानते कि यह कहां तक सच है कि दूसरे देशों के लोग हमारे देश के कुछ स्थानों पर बादल फटने की जानबूझकर साज़िश रच रहे हैं.”
बादल फटने का मतलब ये नहीं होता कि बादल के टुकड़े-टुकड़े हो गए हैं. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, जब एक जगह पर अचानक एक साथ भारी बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहा जाता है. आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर पानी से भरे किसी गुब्बारे को फोड़ दिया जाए तो सारा पानी एक ही जगह तेज़ी से नीचे गिरने लगेगा, ठीक वैसे ही बादल फटने से पानी से भरे बादल की बूंदें तेजी से अचानक जमीन पर गिरती है जिसे बादल फटना कहते हैं. इसे फ्लैश फ्लड या क्लाउड बर्स्ट भी कहा जाता है. अचानक तेजी से फटकर बारिश करने वाले बादलों को प्रेगनेंट क्लाउड भी कहा जाता है.
कहीं भी बादल फटने की घटना तब होती है जब काफी ज्यादा नमी वाले बादल एक जगह पर आकर ठहर जाते हैं, इससे वहां मौजूद पानी की बूंदें आपस में मिल जाती हैं. बूंदों के भार से बादल का घनत्व बढ़ जाता है और फिर अचानक बारिश शुरू हो जाती है. बादल फटने पर 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से बारिश होने लगती है.
पहले यह आम धारणा थी कि बादल फटने की घटना सिर्फ पहाड़ों पर ही होती है. लेकिन मुंबई में 26 जुलाई 2005 को बादल फटने की एक घटना के बाद लोगों की ये धारणा बदल गई. अब यह माना जाता है कि बादल कुछ खास स्थितियों में फटता हैं, वे स्थितियां जहां भी बन जाएं बादल वहीं फट सकता है. कई बार बादल के मार्ग में अचानक से गर्म हवा का झोंका आ जाने से भी बादल फटने की घटना होती है.