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तेलंगाना सीएम के. चंद्रशेखर राव करेंगे नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार

नई दिल्ली : तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने देश के सरकारी थिंक टैंक कहे जाने वाले नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है. इसको लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. रविवार यानी कल नीति आयोग की सातवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक होने वाली है, इससे […]

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तेलंगाना सीएम  के. चंद्रशेखर राव करेंगे नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार
  • August 6, 2022 5:23 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने देश के सरकारी थिंक टैंक कहे जाने वाले नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया है. इसको लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है. रविवार यानी कल नीति आयोग की सातवीं गवर्निंग काउंसिल की बैठक होने वाली है, इससे पहले यह पत्र सामने आया है. पत्र में जीएसटी में राज्यों का हिस्सा समय से न मिलने और रुपये के ऐतिहासिक रूप से गिरने का मुद्दा भी उठाया गया है.

KCR के विरोध का क्या है कारण?

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में. नीति आयोग की नीतियों और उसके क्रियान्वयन के तरीके को लेकर विरोध जताया है. उन्होंने पत्र में साफ कहा है कि इन तथ्यों को देखते हुए 7 अगस्त, 2022 को होने वाली नीति आयोग की शासी परिषद की सातवीं बैठक में भाग लेना उपयोगी नहीं लगता। मैं भारत को एक मजबूत और विकसित देश बनाने के सामूहिक प्रयास में राज्यों के साथ भेदभाव करने और उन्हें समान भागीदार के रूप में नहीं मानने के केंद्र सरकार के वर्तमान रुख के खिलाफ इस बैठक से दूर रहूंगा।

केंद्र ने नहीं किया 14 लाख करोड़ का भुगतान

उन्होंने बिंदुवार लिखे पत्र में कहा है कि नीति आयोग ने उपकर के रूप में राज्यों को लगभग 14 लाख करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया। क्या यह सही है, क्या यही है टीम इंडिया. क्या नीति आयोग में इस पर बहस होगी? केसीआर ने कहा है कि मैंने नीति आयोग की हर बैठक में मुद्दों को उठाया। मैं चाहता था कि मेरी बात को रिकार्ड पर लिया जाए। राजनाथ सिंह ने मुझसे कहा ‘आपने गजब की बात की’ लेकिन उसके बाद कुछ नहीं किया गया. मैंने केंद्र को सलाह दी थी कि राज्यों की प्रगति को कम न करें और उन्हें हतोत्साहित न करें।

केंद्र पर लगाए आरोप

हमने पिछले वित्त वर्ष में 1.90 लाख करोड़ रुपये कमाए और खर्च किए, इसमें से केंद्र ने केवल 5000 करोड़ रुपये दिये। केंद्र से कुछ नहीं आता। राजधानी दिल्ली में भी पीने के पानी की आपूर्ति नहीं, बिजली की आपूर्ति ठीक नहीं. बेरोजगारी बढ़ती जा रही है. यहां तक कि मनरेगा का बकाया भी नहीं मिल रहा है. 16 राज्यों के ग्रामीणों को जंतर मंतर पर प्रदर्शन करना पड़ा.

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