Teachers’ Day 2018: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस, क्या है पीछे की कहानी?

हर साल 5 सितंबर का दिन डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. बता दें कि 5 सितंबर को डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म भी हुआ था, इसके साथ ही उन्होंने इसी दिन साल 1962 में देश के राष्ट्रपति की शपथ भी ली थी. जिसके बाद सरकार इस तारीख को शिक्षक दिवस की घोषणा कर दी.

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Teachers’ Day 2018: डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की याद में क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस, क्या है पीछे की कहानी?

Aanchal Pandey

  • September 4, 2018 6:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. 5 सितंबर का दिन हर साल शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसकी शुरूआत साल 1962 से हुई जब डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने अपने जन्मदिन 5 सितंबर के दिन देश के राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ली थी. जिसके बाद उस दौरान सरकार ने 5 सितंबर को शिक्षक दिवस की घोषणा कर दी. दरअसल एक शिक्षक ही होता है कि जो स्कूल हो या कॉलेज अपने छात्रों को ऐसी शिक्षा प्रदान करते हैं जिसकी मदद से छात्र करियर के साथ-साथ सामाजिक जीवन के तौर तरीके भी सीखता है.

गौरतलब है कि डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सिंतबर साल 1988 में हुआ था. राधाकृष्णन एक दार्शनिक, विद्वान, राजनेता और शिक्षक रहे थे. लेकिन देश  में शिक्षा क्षेत्र में दिए गए उनके योगदान को देखते हुए सरकार ने उनके जन्मदिन तो एक महत्वपूर्ण दिन बना दिया. दरअसल कहा जाता है कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन छात्रों के साथ दोस्तों की तरह पेश आते थे और छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय भी थे. 5 सितंबर साल 1962 में जब वे भारत के राष्ट्रपति बने तो उस दौरान उनके कुछ छात्र और दोस्त उनका जन्मदिन बनाने का निवेदन करने लगे.

इसके बाद डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने सभी के निवेदन पर अनुमति देते हुए कहा कि वे अपना जन्मदिन शिक्षकों के साथ मनाना चाहते हैं, जिसके बाद सरकार ने उनके जन्मदिन को यादागर बनाने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस की घोषणा कर दी. बता दें कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का कहना था कि शिक्षकों की राष्ट्र निमार्ण में बड़ी भूमिका है और इसके लिए शिक्षकों को अधिक सम्मान मिलना चाहिए.

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने एक बार भगवत गीता पर एक किताब भी लिखी जिसमें उन्होंने एक शिक्षक की परीभाषा देते हुए कहा था “The one who emphasizes on presentation to converge different currents of thoughts to the same end यानी जो भी प्रस्तुति पर जोर देता है वह विचारों की अलग-अलग धाराओं को एक ही अंत में परवर्तिति करने का कार्य करता है.

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