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आपके घर की रसोई से लेकर आसमान तक TATA का राज, ऐसे ही नहीं कहलाते असल रतन

आपके घर की रसोई से लेकर आसमान तक TATA का राज, ऐसे ही नहीं कहलाते असल रतन

नई दिल्ली। भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा का 9 अक्टूबर, बुधवार शाम को निधन हो गया। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली। गंभीर हालत में उन्हें यहां आईसीयू में भर्ती कराया गया था। 86 वर्षीय टाटा के निधन की खबर से बिजनेस जगत समेत पूरे भारत में शोक की लहर है। रतन टाटा ने ना सिर्फ बिजनेस सेक्टर में अपना नाम बनाया बल्कि एक दरियादिल इंसान के रूप में भी वो जाने जाते थे। वो एक ऐसे व्यक्तित्व के शख्शियत थे कि उनके जैसा हो पाना हर किसी के लिए संभव नहीं है।

खड़े रहे देश में साथ

रतन टाटा ने अपने जीवन में कई ऐसे काम किए जो आज तक कोई नहीं कर पाया। सुनामी आई हो या कोरोना की लहर रतन टाटा हर मुसीबत में देश के साथ खड़े रहे। बुधवार को उनके निधन से पहले सोमवार को भी उनकी तबीयत बिगड़ने की खबर आई थी लेकिन तब उन्हें इसे नकारते हुए कहा कि मैं ठीक हूं। चिंता की बात नहीं है। उम्र संबंधी परेशानियों की जांच कराने अस्पताल आया था।

सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत

देश के सबसे प्रसिद्ध कारोबारी और अरबपति रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को नवल टाटा और सूनी टाटा के घर पर हुआ था। 1991 से लेकर 2012 तक टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहने के दौरान उन्होंने बिजनेस सेक्टर में कई कीर्तिमान स्थापित किए। उन्होंने टाटा समूह को बुलंदियों तक पहुंचाया और एक दरियादिल इंसान के रूप में अपनी छवि बनाई। रतन टाटा हर कारोबारी चाहे वो छोटा हो या बड़ा उनके लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।

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