नई दिल्ली: सिंगूर-नैनो प्रोजेक्ट केस में टाटा मोटर्स के लिए अच्छी खबर आई है। ममता सरकार को सिंगूर में टाटा मोटर्स की नैनो फैक्ट्री को बंद करने के लिए कंपनी को 765.78 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। पश्चिम बंगाल सरकार सितंबर 2016 से सलाना 11 प्रतिशत ब्याज के साथ देगी ये राशी। सोमवार को तीन सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने टाटा कंपनी के पक्ष में एकमत से यह फैसला सुनाया है।
टाटा मोटर्स ने सोमवार को रेग्यूलेटरी फाइलिंग में बताया कि एक मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम को सिंगूर में उसके मैन्युफेक्चरिंग साइट पर हुए नुकसान के संबंध में कंपनी को 766 करोड़ रुपये का मुआवजा देने को कहा है।
साल 2006 में पश्चिम बंगाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार ने ऐलान किया था कि टाटा अपने किफायती नैनो मॉडल को लॉन्च करने के लिए कार मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू करेगी। इसके अगले साल टाटा मोटर्स ने सिंगूर में प्लांट का निर्माण शुरू भी कर दिया। पर अक्तूबर 2008 में भूमि विवाद के कारण टाटा मोटर्स को नैनो का उत्पादन करने के लिए अपने प्लांट को पश्चिम बंगाल के सिंगुर से गुजरात के साणंद में स्थानांतरित करना पड़ा।
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इसके बाद टाटा कंपनी और राज्य सरकार के बीच कई सालों तक कानूनी लड़ाई चली। अब जाकर इसपर फैसला आया है।
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