तमिलनाडु: सीएम स्टालिन ने हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को दी श्रद्धांजलि

चेन्नई: तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने आज चेन्नई में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन के पार्थिव शरीर को अंतिम श्रद्धांजलि दी है. स्वामीनाथन का कल चेन्नई के एक अस्पताल 98 साल की उम्र में निधन हो गया था. प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन […]

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तमिलनाडु: सीएम स्टालिन ने हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन को दी श्रद्धांजलि

Vaibhav Mishra

  • September 29, 2023 1:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 1 year ago

चेन्नई: तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने आज चेन्नई में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन के पार्थिव शरीर को अंतिम श्रद्धांजलि दी है. स्वामीनाथन का कल चेन्नई के एक अस्पताल 98 साल की उम्र में निधन हो गया था.

प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन के निधन पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट लिखकर स्वामीनाथन के निधन पर शोक व्यक्त किया. पीएम मोदी ने लिखा, डॉ. एमएस स्वामीनाथन जी के निधन से गहरा दुख हुआ. हमारे देश के इतिहास के एक बहुत ही महत्वपूर्ण समय में कृषि में उनके अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की.

जानें कौन थे स्वामीनाथन?

स्वामीनाथन का जन्म ब्रिटिश राज में 7 अगस्त, 1925 को तमिलनाडु में हुआ. मूल रूप से वे आनुवांशिक विज्ञान के वैज्ञानिक थे लेकिन वह कृषि की ओर मुड़े और देश के सबसे प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक की पहचान बनाई. उनके काम को पूरी दुनिया में सराहना मिली. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा उनको “आर्थिक पारिस्थितिकी के जनक” का नाम दिया गया.

उनके बारे में कुछ खास बातें

बता दें कि एमएस स्वामीनाथन के पास दो स्नातक डिग्रियां थीं. एक प्राणीशास्त्र में और दूसरा कृषि विज्ञान में. उन्होंने 1943 में बंगाल के अकाल का अनुभव करने के बाद कृषि के क्षेत्र में ही आगे बढ़ने का निर्णय लिया. 1960 में जब देश बड़े पैमाने पर भोजन की कमी का सामना कर रहा था, तब एमएस स्वामीनाथन ने नॉर्मन बोरलॉग और अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं के HYV बीज विकसित किए. इसी विकास की वजह से भारत में हरित क्रांति हुई. बता दें कि उन्हें ‘हरित क्रांति के जनक’ के नाम से भी जाना जाता है.

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