Tahawwur Rana News: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को गुरुवार को अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किया गया. शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उनसे करीब तीन घंटे तक पूछताछ की. लेकिन राणा ने ज्यादातर सवालों के जवाब में ‘याद नहीं’ या ‘पता नहीं’ कहकर टालमटोल की कोशिश की. सूत्रों के मुताबिक राणा ने अपनी खराब सेहत का हवाला देकर पूछताछ में सहयोग करने से बचने की रणनीति अपनाई.
एनआईए (NIA) मुख्यालय में सुबह 11 बजे शुरू हुई पूछताछ में राणा से मुंबई हमले की साजिश. उनके सह-आरोपी डेविड कोलमैन हेडली के साथ संबंध लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से कथित लिंक पर सवाल किए गए. जांचकर्ताओं ने राणा से उन दस्तावेजों और ईमेल के बारे में पूछा जो हमले की योजना से जुड़े थे. हालांकि राणा ने बार-बार कहा ‘मुझे कुछ याद नहीं’ और ‘मुझे कोई जानकारी नहीं.’
सूत्रों ने बताया कि राणा ने अपनी सेहत को लेकर शिकायत की और कहा कि वह मानसिक और शारीरिक रूप से जवाब देने की स्थिति में नहीं हैं. ‘मैं बीमार हूँ’ राणा ने कई बार दोहराया लेकिन जांचकर्ताओं का मानना है कि यह पूछताछ से बचने की रणनीति हो सकती है.
राणा को एनआईए मुख्यालय के एक हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा गया है. जहां 24 घंटे सीसीटीवी निगरानी और सीमित लोगों की पहुंच है. इस सेल में उन्हें भोजन और बुनियादी सुविधाएं दी जा रही हैं. पूछताछ के लिए 11 सदस्यों की विशेष टीम बनाई गई है. जिसमें एनआईए के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल जया रॉय मुख्य जांच अधिकारी हैं. कोर्ट ने राणा को 18 दिन की एनआईए हिरासत में भेजा है और हर 24 घंटे में उनकी मेडिकल जांच का आदेश दिया है.
राणा ने पहले भी अमेरिका में प्रत्यर्पण से बचने के लिए अपनी बीमारियों का हवाला दिया था. उन्होंने दावा किया था कि उन्हें पार्किंसन, पेट की गंभीर बीमारी और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हैं. हालांकि एनआईए सूत्रों का कहना है कि राणा की मेडिकल जांच में अभी तक कोई गंभीर बीमारी की पुष्टि नहीं हुई है. जांचकर्ताओं को शक है कि राणा जानबूझकर समय खींचने और महत्वपूर्ण जानकारी छिपाने की कोशिश कर रहे हैं.
2008 के मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे और 238 से ज्यादा घायल हुए थे. राणा पर आरोप है कि उन्होंने डेविड हेडली को मुंबई में हमले के लिए रेकी करने में मदद की थी. हेडली ने राणा की इमिग्रेशन कंपनी के जरिए फर्जी दस्तावेज बनवाए थे. जिससे वह भारत में आसानी से घूम सके. एनआईए यह जानना चाहती है कि राणा ने किन पाकिस्तानी हैंडलर्स के साथ काम किया. हमले के लिए फंडिंग कहां से आई और क्या भारत में अब भी कोई स्लीपर सेल सक्रिय हैं.
पहले दिन की पूछताछ में एनआईए ने राणा से निम्नलिखित सवाल पूछे:
मुंबई हमले से पहले उनकी यात्राओं और हेडली से मुलाकातों का ब्योरा.
लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई के साथ उनके कथित संपर्क.
हमले की योजना में शामिल अन्य लोगों के नाम और उनकी भूमिका.
हेडली को दिए गए फर्जी दस्तावेजों और वित्तीय लेनदेन का विवरण.
राणा के जवाबों की कमी ने जांचकर्ताओं को निराश किया लेकिन वे मानते हैं कि यह शुरुआती दौर है और राणा पर दबाव बढ़ाने से सच सामने आ सकता है.
पटियाला हाउस कोर्ट ने राणा को 18 दिन की हिरासत में भेजते हुए एनआईए को हर वैधानिक प्रक्रिया का पालन करने का निर्देश दिया है. राणा को हर दूसरे दिन अपने वकील से मिलने की अनुमति है. एनआईए अब राणा के पुराने ईमेल, कॉल रिकॉर्ड और हेडली के साथ उनके संवाद की जांच कर रही है. सूत्रों का कहना है कि राणा को मुंबई, आगरा, और अन्य शहरों में ले जाया जा सकता है. जहां उन्होंने हमले से पहले रेकी की थी.
राणा के प्रत्यर्पण को भारत की कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा ‘अब इस व्यक्ति से पूछताछ होगी और असली मास्टरमाइंड का पता चलेगा.’ वहीं मुंबई पुलिस के रिटायर्ड इंस्पेक्टर हेमंत बावधनकर जिन्होंने अजमल कसाब को पकड़ा था. उन्होनें इसे ‘हर भारतीय के लिए न्याय’ बताया.
राणा का गैर-सहयोगी रवैया जांच को जटिल बना सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि वह प्रशिक्षित (किसी कार्य या कौशल के लिए तैयार या सिखाया गया) आतंकी है जो पूछताछ से बचने की तकनीक जानता है. फिर भी एनआईए को उम्मीद है कि सबूतों और दबाव के जरिए राणा से महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की जा सकती है. अगर राणा ने सहयोग किया तो यह न केवल मुंबई हमले की साजिश को पूरी तरह उजागर कर सकता है बल्कि भविष्य के आतंकी खतरों को रोकने में भी मदद करेगा.
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