नई दिल्ली. गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन से पूछा गया कि क्या उन्हें उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के दौरान कश्मीर मुद्दा सामने आएगा, और यदि ऐसा है, तो भारत कैसे निपटेगा? इस पर उन्होंने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा में अगर पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे को उठाता है तो भारत उससे ऊपर उठकर इसका करारा जवाब जरूर देगा. संयुक्त राष्ट्र में भारत के शीर्ष दूत सैयद अकबरुद्दीन ने जोर देकर कहा है कि इस्लामाबाद अतीत में आतंकवाद को सामान्य करने की ही तरह मुख्यधारा की नफरत फैलाने वाले भाषण को कम कर ले.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन से पूछा गया कि क्या आप उम्मीद करते हैं कि यूएनजीए में कश्मीर का मु्द्दा उठेगा और यदि ऐसा है, तो आप वैश्विक प्लेटफार्मों पर इससे कैसे निपटेंगे? इस पर उन्होंने कहा, कुछ ऐसे भी हो सकते हैं जो इतना नीचे गिर जाएं. उनकी प्रतिक्रिया से हम ऊंचे होते हैं. वे नीचे गिर सकते हैं, हम ऊपर उठते हैं. वे जो करना चाहते हैं, वह उनकी इच्छा है. हमने अतीत में उनका मुख्य धारा का आतंकवाद देखा है और अब आप जो मुझे बता रहे हैं, वह है कि वे नफरत फैलाने वाले भाषण को मुख्यधारा में लाना चाहते हैं. यह उनकी कॉल है, अगर वे ऐसा करना चाहते हैं. ज़हर भरा पेन बहुत लंबे समय तक काम नहीं करता है. हमें भरोसा है कि हम बुलंदी हासिल करेंगे. हमने आपको उदाहरण दिया है कि हम कैसे नहीं रुकेंगे. जब वे गिरेंगे तो हम चढ़ेंगे.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन से जब पूछा गया, ह्यूस्टन के बाद यूएनजीए की तर्ज पर पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प से मिलने की संभावना है या नहीं और कब? तो इस पर उन्होंने जवाब दिया, मैं समझता हूं, राष्ट्रपति ट्रम्प 23 से 25 के बीच न्यूयॉर्क में हैं. आप निश्चित हो सकते हैं? यह इस दौरान होगा. उनसे पूछा गया कि क्या संयुक्त राष्ट्र की तर्ज पर अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए बहुपक्षीय बंद दरवाजे की बैठक का कोई मौका है? इस पर उन्होंने जवाब में कहा, आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए प्रधान मंत्री ने एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आह्वान किया है. वह (पीएम मोदी) निश्चित रूप से उस मुद्दे को सामने रखेंगे. आतंकवाद हमेशा भारत के लिए एक विषय होगा क्योंकि हमारे लोगों ने पर्याप्त नुकसान उठाया है और हम चाहेंगे कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे को हल करने के लिए एकजुट हो.
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