Swami Vivekananda Jayanti: स्वामी विवेकानंद ने के विचारों से देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व प्रभावित हुआ था. आज भी विवेकानंद के विचारों की प्रासंगिकता बरकरार है. अमेरिका के शिकागो में विवेकानंद ने अपने भाषण की शुरुआत 'मेरे अमेरिकी भाइयों और बहनों' के साथ की जिसके बाद पूरा हॉल तालियों के गड़गड़ाहट से गूंज उठा. ये पहला मौका नहीं था. आज हम लेकर आए हैं आपके लिये स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए कुछ अनमोल वचन.
नई दिल्ली. स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिन को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. स्वामी विवेकानंद जी के विचारों से देश ही नहीं पूरा विश्व प्रभावित हुआ था. साहित्य, दर्शन और इतिहास के विद्वान स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के कयास्थ परिवार में हुआ था. जिन्होंने 25 साल की उम्र में घर और तमाम सुख को त्याग कर सन्यांस ले लिया. विवेकानंद अपने गुरु रामकृष्ण से प्रभावित थे. स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरु जी की मृत्यु हो जाने का बाद उन्होंने विश्वभर में यात्रा की और अपने विचारों का प्रचार प्रसार किया. आइए आपको बतातें हैं स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए कुछ अनमोल वचन.
1: जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते.
2: सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा.
3: विश्व एक व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं.
4: जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आये – आप यकीन कर सकते है की आप गलत रस्ते पर सफर कर रहे है.
5: यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दुसरो के लिए जीते है, वे वास्तव में जीते है.
6: एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो.
7: भगवान् की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए , इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर.
8 : यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता.
9: हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा, और परमात्मा उसमे बसेंगे.
10: बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है.
11: कुछ मत पूछो , बदले में कुछ मत मांगो ,जो देना है वो दो ; वो तुम तक वापस आएगा , पर उसके बारे में अभी मत सोचो.
12: जो तुम सोचते हो वो हो जाओगे. यदि तुम खुद को कमजोर सोचते हो , तुम कमजोर हो जाओगे ; अगर खुद को ताकतवर सोचते हो , तुम ताकतवर हो जाओगे.
13: मनुष्य की सेवा करो. भगवान की सेवा करो.
14: मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं. जब वो केन्द्रित होती हैं, चमक उठती हैं.
15:आकांक्षा , अज्ञानता , और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं.
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