नई दिल्ली. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज वुझेन में रूस-भारत-चीन (आरआईसी) की 16 वीं विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने पहुंची. यहां उनके साथ उनके चीनी समकक्ष वांग यी और रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव मौजूद थे. बैठक के बाद सुषमा स्वराज चीनी विदेश मंत्री के अलावा रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ द्विपक्षीय चर्चा भी करेंगी. वुहान में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा- जैसा कि आपने कहा, भारत-चीन संबंध, हमारे दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण संबंध है. हमने अप्रैल 2018 में वुहान में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के बाद से अपने संबंधों में पर्याप्त प्रगति की है.
सुषमा स्वराज ने कहा, दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है कि हमारे नेताओं द्वारा दिए गए मार्गदर्शन के गहन और प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करें. दोनों पक्षों ने इस संबंध में अच्छे प्रयास किए हैं और हमें इस प्रयास को बनाए रखना चाहिए. सुषमा स्वराज ने कहा, पुलवामा में हमारे सुरक्षा बलों पर हाल ही में हुए आतंकवादी हमले से सभी अवगत हैं. जैश-ए-मोहम्मद, जो कि पाकिस्तान आधारित और समर्थित आतंकवादी संगठन है उस पर संयुक्त राष्ट्र और अन्य देशों द्वारा मुकदमा चलाए गए हैं. हमने हमले में सीआरपीएफ के 40 कर्मियों को खो दिया और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं.
सुषमा स्वराज ने कहा, इस तरह के आतंकवादी हमले, आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस दिखाने और इसके खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने और एक गंभीर चेतावनी देने की सभी देशों को जरूरत है. पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद और पाकिस्तान में स्थित अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा कदम को गंभीरता से लेने के बजाय पाकिस्तान ने इस हमले के बारे में जानकारी से इनकार किया और जैश-ए-मोहम्मद द्वारा दावे को खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा, पाक द्वारा अपने क्षेत्र पर आतंकी समूहों को अस्वीकार करने और कार्रवाई करने से इनकार करने के बाद जैश ए मोहम्मद ने भारत के कुछ हिस्सों में अन्य हमलों की योजना बनाई. भारत सरकार ने नागरिक हताहत से बचने के लिए पूर्वव्यापी कार्रवाई करने का फैसला किया और इसके लिए लक्ष्य का चयन किया गया. यह एक सैन्य ऑपरेशन नहीं था. इसके लिए किसी सैन्य स्थापना को लक्षित नहीं किया गया था. इसका उद्देश्य भारत में एक और जैश ए मोहम्मद का आतंकी हमला रोकना और आतंकवादी ढांचे के खिलाफ कार्रवाई करना था. भारत इन हालातों में और वृद्धि नहीं देखना चाहता है. हम जिम्मेदारी और संयम के साथ काम करना जारी रखेंगे.
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