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Sushant Singh Rajput Case: सुशांत सिंह राजपूत का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने दिए वकील विकास सिंह के सवालों के जवाब

Sushant Singh Rajput Case: सुशांत के परिवार के वकील विकास सिंह ने इस मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम को चिट्ठी लिखी है जिसमें दोबारा फॉरेंसिक टीम का गठन कर जांच की मांग की गई है. चिट्ठी में उन कमियों को भी गिनाया गया है जो मौजूदा जांच में की गई है. सीबीआई टीम को लिखी चिट्ठी में सुशांत के परिवार के वकील ने कई दावे किए हैं, जिनपर अब सुशांत का पोस्टमॉर्टम करने वाली टीम ने जवाब दिया है. विकास सिंह के द्वारा लिखे गए खत में क्या-क्या फैक्चुअल एरर की बात कही गई है आइए आपको बताते हैं.

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Sushant Singh Rajput Case
  • October 7, 2020 4:02 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 years ago

नई दिल्ली: अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर एम्स की रिपोर्ट सामने आने के बाद एक बार फिर विवाद खड़ा हो गया है. सुशांत का परिवार मानने को तैयार नहीं है कि सुशांत आत्महत्या कर सकता है. सुशांत के परिवार के वकील विकास सिंह ने इस मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम को चिट्ठी लिखी है जिसमें दोबारा फॉरेंसिक टीम का गठन कर जांच की मांग की गई है. चिट्ठी में उन कमियों को भी गिनाया गया है जो मौजूदा जांच में की गई है. सीबीआई टीम को लिखी चिट्ठी में सुशांत के परिवार के वकील ने कई दावे किए हैं, जिनपर अब सुशांत का पोस्टमॉर्टम करने वाली टीम ने जवाब दिया है. विकास सिंह के द्वारा लिखे गए खत में क्या-क्या फैक्चुअल एरर की बात कही गई है आइए आपको बताते हैं.

सुशांत सिंह राजपूत का पोस्टमॉर्टम मौत वाले दिन ही देर शाम को क्यों किया गया?

इस सवाल के जवाब में पोस्टमार्टम टीम ने कहा कि पुलिस अधिकारी हमारे पास आए थे, उन्होंने ही हमसे पोस्टमॉर्टम करने को कहा था इसलिए हमने

पोस्टमार्टम किया. ऐसा कोई नियम नहीं है कि पोस्टमॉर्टम रात को नहीं हो सकता है. 2013 के एक सर्कुलर के अनुसार रात को भी पोस्टमॉर्टम किया जा

सकता है.

क्या रात को पोस्टमॉर्टम करने के लिए मजिस्ट्रेट ने इजाजत दी थी?

जवाब में डॉक्टरों की टीम ने कहा- पोस्टमॉर्टम के लिए मजिस्ट्रेट की इजाजत की जरूरत तभी होती है, जब कस्टडी में किसी की मौत हुई हो या दंगे में कोई

मरा हो यानी जिसकी मौत 176 CrPC के तहत हुई हो. सुशांत का मामला 174 CrPC के अंतर्गत आता है, जहां पुलिस के पास पोस्टमॉर्टम करवाने

का अधिकार है. इसलिए मजिस्ट्रेट से इजाजत लेने का सवाल ही नहीं उठता.

पोस्टमॉर्टम के वक्त सुशांत के परिवार से कौन व्यक्ति मौजूद था?

जवाब में डॉक्टरों की टीम ने कहा- हमें याद नहीं है कि परिवार से कौन मौजूद था. हमारे पास पुलिस सुशांत की बहन द्वारा साइन किए गए पेपर के साथ

आई थी. उसके बाद सुशांत की बहन और जीजा ओपी सिंह पोस्टमॉर्टम सेंटर पर आए थे.

सुशांत की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में निशान की बात कही गई है, फिर इसमें किसी चोट का जिक्र क्यों नहीं है?

जवाब में डॉक्टरों की टीम ने कहा- अगर आप पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के कॉलम 17 को देखें तो निशान ( ligature marks गले पर निशान) की बात

कही गई है, उसके अलावा सुशांत की बॉडी पर कोई चोट नहीं थी.

सुशांत जैसे मामलों में ऑटोप्सी के लिए 2-3 घंटे लगते हैं, फिर ये 90 मिनट में कैसे पूरा हो गया?

जवाब में डॉक्टरों की टीम ने कहा- एक सामान्य पोस्टमॉर्टम के लिए लगभग एक घंटा लगता है, लेकिन ऐसी कोई टाइम लिमिट नहीं है. हमने डेढ़ घंटे में

पोस्टमॉर्टम पूरा किया और विसरा को प्रिजर्व कर लिया.

सुशांत के शव से विसरा रिपोर्ट के अलावा ऐसा क्या पता लगा जिससे मर्डर की थ्योरी खत्म हो गई?

जवाब में डॉक्टरों की टीम ने कहा- शरीर पर किसी तरह के चोट का कोई निशान नहीं था, जहां उसने फांसी लगाई वहां पर किसी तरह का संघर्ष नहीं हुआ

था. गले पर जो निशान मिला, वो उसी फंदे से मिले जिससे सुशांत का शव लटका हुआ मिला था.

जिस फंदे की बात हुई उसपर शक है कि वो सुशांत का वजन उठाने लायक नहीं था?

जवाब में डॉक्टरों की टीम ने कहा- जिस कुर्ते के कपड़े से फांसी लगाई गई, उसे टेस्ट के लिए भेजा गया था. जिसमें पता लगा कि वो 200 किलो तक का

वजन झेल सकता है.

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का वक्त क्यों नहीं लिखा गया है?

जवाब में डॉक्टरों की टीम ने कहा- मुंबई पुलिस ने मौत के वक्त को लेकर सवाल खड़े किए थे, लेकिन रिपोर्ट में ये लिखा गया है कि पोस्टमॉर्टम से 10-12

घंटे पहले ही सुशांत की मौत हुई है.

टेजर गन थ्योरी को लेकर क्या कहना है, टेजर गन के इस्तेमाल के बाद गला दबाया गया?

जवाब में डॉक्टरों की टीम ने कहा- टेज़र गन हमेशा गर्दन पर एक जला हुआ निशान छोड़ देती है. लेकिन जो निशान थे वो सिर्फ यही साबित करते हैं कि

वो लटकने के कारण हुए हैं. टेज़र गन थ्योरी सिर्फ सोशल मीडिया पर चर्चा में थी.

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