उत्तर प्रदेश: लखनऊ। आज से उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे शुरू हो रहा है। सर्वे की शुरूआत से पहले प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजी ने तूल पकड़ लिया है। विपक्ष प्रदेश के बीजेपी सरकार के खिलाफ पूरी तरह से हमलावर हो चुका है। मदरसा सर्वे के मामले पर पहले बसपा प्रमुख मायावती […]
लखनऊ। आज से उत्तर प्रदेश में गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे शुरू हो रहा है। सर्वे की शुरूआत से पहले प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजी ने तूल पकड़ लिया है। विपक्ष प्रदेश के बीजेपी सरकार के खिलाफ पूरी तरह से हमलावर हो चुका है। मदरसा सर्वे के मामले पर पहले बसपा प्रमुख मायावती ने, उसके बाद एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने बीजेपी पर निशाना साधा है।
उत्तर प्रदेश सरकार के दिशानिर्देश के अनुसार पांच अक्टूबर तक सर्वे का काम पूरा करना है। वहीं 25 अक्टूबर तक सर्वे का रिपोर्ट भेजना है। सर्वे का जिम्मा जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी एवं उनकी टीम को मिला है। कार्य में सहयोगी के तौर पर शिक्षा विभाग अधिकारी भी शामिल रहेंगे।
सरकार के फैसले पर बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट करते हुए लिखा कि कांग्रेस के जमाने मुस्लिम समाज शोषित, उपेक्षित और दंगा-पीड़ित रहा है। और बीजेपी भी तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं। मायावती के अनुसार यूपी में मदरसों पर बीजेपी की टेढ़ी नजर है। सर्वे के नाम पर सरकार निजी मदरसों में हस्तक्षेप का अनुचित प्रयास कर रही है। वहीं सरकारी अनुदान पोषित मदरसों और सरकारी स्कूलों की बदतर हालत को सुधारने पर सरकार को ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
सर्वे की बात सुनते ही असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट किया। औवैसी के अनुसार मोदी सरकार के मदरसा आधुनिकरण की योजना के तहत सिर्फ यूपी में 50,000 शिक्षकों की ₹750 करोड़ तनख्वाह बकाया है। औवैसी ने सवाल उठाते हुए कहा कि बकाया फंड देने के लिए सरकार को कौन-से सर्वे की जरूरत है? सरकार आधुनिकरण के बहाने मदरसों को निशाना बना रही है। साथ ही ओवैसी ने बताया कि सरकार उन पर झूठे आरोप लगा रही है कि वह मदरसों के आधुनिकरण के खिलाफ है।
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