नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम महिलाओं के हक़ में बड़ा फैसला सुनाया है। महिलाओं के भरण-पोषण पर साफ़ किया गया कि इसमें धर्म बाधा नहीं है। कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के भरण पोषण के लिए पति की जिम्मेदारी तय की। दरअसल तेलंगाना की एक महिला ने भरण-पोषण के लिए कोर्ट का दरवाजा […]
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम महिलाओं के हक़ में बड़ा फैसला सुनाया है। महिलाओं के भरण-पोषण पर साफ़ किया गया कि इसमें धर्म बाधा नहीं है। कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं के भरण पोषण के लिए पति की जिम्मेदारी तय की। दरअसल तेलंगाना की एक महिला ने भरण-पोषण के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की डबल बेंच ने इस पर फैसला सुनाते हुए स्पष्ट कर दिया कि पति को उन्हें गुजारा भत्ता देना पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सिर्फ मुस्लिम महिला ही नहीं बल्कि अन्य भी भरण पोषण की अधिकारी है। भरण पोषण नहीं मिलने पर महिला धारा 125 के तहत पति पर मेंटेनेंस का केस डाल सकती है। इसमें धर्म रुकावट नहीं बनेगा। जस्टिस नागरत्ना ने फैसले के दौरान ये भी कहा कि अब समय आ चुका है कि भारतीय पुरुष अपनी पत्नियों के त्याग को पहचानें। इसके लिए उन्होंने खाते और जॉइंट काउंट खोलने की सलाह दी।
बता दें कि यह मामला तेलंगाना से है। एक मुस्लिम महिला ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत याचिका दाखिल करके पति से गुजारा भत्ता देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा कि उसे पति से हर महीने 20 हजार रुपये देने को कहा जाए। मामले को पारिवारिक अदालत ले जाया गया। जहां उसके पक्ष में फैसला आया। फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई लेकिन वहां भी महिला के पक्ष में ही फैसला सुनाया गया।
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