Supreme Court Verdict on Section 66A: सुप्रीम कोर्ट ने 66ए के तहत हो रही गिरफ्तारियों को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आईटी की धारा 66 ए के तहत जो भी अधिकारी किसी को गिरफ्तार करता है तो उसे ही जेल भेजा जाएगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 24 सितंबर 2015 को आदेश दिया था कि आईटी की धारा 66ए खत्म की जाए. इस धारा में प्रावधान है कि वेबसाइट पर अपमानजनक सामग्री साझा करने वाले को गिरफ्तार किया जा सकता है.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में आदेश दिए थे कि धारा 66ए खत्म किया जाए. इसके तहत हो रही गिरफ्तारियां रोकी जाएं. हालांकि इस धारा के तहत अब भी गिरफ्तारियां हो रही हैं. इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि आईटी की धारा 66 ए के तहत हो रही गिरफ्तारियों को नहीं रोका गया तो गिरफ्तारी करने वाले अधिकारियों को भी जेल भेजा जाएगा. बता दें कि आईटी की धारा 66 ए के तहत प्रावधान था कि वेबसाइट पर कथित तौर पर अपमानजनक सामग्री पोस्ट करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता है.
इस धारा के तहत अब भी हो रही गिरफ्तारियों के मद्देनजर मानवाधिकारों के लिए काम कर रही संस्था पीपुल्स यूनियस फॉल सिविल लिबर्टीज ने जनहित याचिका दायर की थी. इस याचिका पर जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने केंद्र सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए चेतावनी दी और कहा, ‘यदि याचिकाकर्ता के लगाए आरोप सही रहे तो आरोपियों को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. याचिकाकर्ताओं ने उन लोगों की सूची दी है जिन पर इस धारा के तहत मुकदमा चलाया गया है. याचिकाकर्ता के आरोप तय होने पर उन सभी अधिकारियों को जेल भेजा जाएगा जिन्होंने इस धारा के तहत गिरफ्तारी की या आदेश दिए थे. इस याचिका पर इस बार सख्त कदम उठाए जाएंगे.’
सुप्रीम कोर्ट ने ये साफ कर दिया है कि आईटी की धारा 66 ए को समाप्त करने के आदेश का उल्लंघन करने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा. बता दें कि संस्था पीपुल्स यूनियस फॉल सिविल लिबर्टीज ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में बताया है कि आईटी कानून 66 ए को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खत्म करने के बाद भी इस धारा के तहत 22 से ज्यादा लोगों के खिलाफ केस दायर किए गए हैं.