नई दिल्ली। गुजरात के बिलकिस बानो मामले में दोषियों की जल्द रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने दोषियों की रिहाई का फैसला रद्द कर दिया है। अदालत ने याचिका को सुनवाई योग्य माना है। न्यायालय ने कहा, महिला सम्मान की हकदार है। कोर्ट ने कहा कि राज्य इस तरह का निर्णय लेने के लिए ‘सक्षम नहीं’ है और इसे ‘धोखाधड़ी वाला कृत्य’ करार दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की याचिका को हमने सुनवाई योग्य माना है। इसी मामले में जो जनहित याचिकाएं दाखिल हुई हैं, हम उनके सुनवाई योग्य होने या न होने पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे। जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि जिस कोर्ट में मुकदमा चला था, रिहाई पर फैसले से पहले गुजरात सरकार को उसकी राय लेनी चाहिए थी, जिस प्रदेश में आरोपियों को सजा मिली, उसे ही रिहाई पर निर्णय लेना चाहिए था। सजा महाराष्ट्र में मिली थी. इस आधार पर रिहाई का आदेश रद्द हो जाता है।
जिन लोगों को समय से पहले रिहा किया गया उनमें जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राध्येशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल हैं। बता दें कि जेल में 15 साल गुजारने के साथ-साथ कैद के दौरान उनकी उम्र और व्यवहार को ध्यान में रखते हुए उनको 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया।
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