सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तीन अहम मामलों पर फैसला सुनाया. इनमें एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण पर, इसके बाद आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता और फिर अदालत की सुनवाई के लाइव स्ट्रीमिंग शामिल हैं. इन तीनों ही मामलों पर आए फैसले आम लोगों के लिए काफी मायने रखते हैं.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी बुधवार को तीन बड़े मुद्दों पर फैसला सुनाया. एससी/एसटी को प्रमोशन में आरक्षण पर, इसके बाद आधार कार्ड की संवैधानिक वैधता और फिर अदालत की सुनवाई के लाइव स्ट्रीमिंग पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है. एक के बाद एक आए ये फैसले आम आदमी के लिए बेहद मायने रखते हैं.
प्रमोशन में आरक्षण
सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों के लिए एससी-एसटी को सरकारी नौकरियों में प्रोमोशन में आरक्षण देने का रास्ता खोल दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी प्रोमोशन आरक्षण के चर्चित नागराज केस में 2006 के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर तब के फैसले की उस शर्त को भी हटा दिया कि प्रोमोशन में आरक्षण का लाभ देने के लिए पिछड़ेपन का डाटा देना होगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी की तरह एससी-एसटी के क्रीमी लेयर को भी प्रोमोशन में आरक्षण का फायदा देने से मना कर दिया है.
आधार की संवैधानिक वैधता
वहीं एक दूसरे फैसले में केंद्र की आधार कार्ड योजना को सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक रूप से वैध करार दिया. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि आधार में डेटा सुरक्षित रखने के लिए कड़े इंतजाम हैं और आधार के बल पर किसी नागरिक के निगरानी बेहद मुश्किल है. साथ ही कोर्ट ने सरकार से इसकी सुरक्षा को बढ़ाने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा कि आधार जनहित में बड़ा काम कर रहा है और आधार का मतलब है अनोखा और सर्वश्रेष्ठ होने के मुकाबले अलग होना ज्यादा बेहतर है. हालांकि कोर्ट ने कहा कि आधार हर जगह जरूरी नहीं होगा. सिर्फ पैन को लिंक करने, आईटी रिटर्न दाखिल करने के लिए, स्थायी खाता संख्या आवंटित करने के लिए और सरकारी योजना लाभों का लाभ उठाने के लिए आधार कार्ड का होगा अनिवार्य है. कोर्ट ने साफ कहा कि आधार कानून में कुछ भी ऐसा नहीं है जिससे किसी की निजता का हनन हो.
कोर्ट की सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग
इसके अलावा एक अन्य बड़े फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अदालत की कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की आज्ञा देते हुए कहा कि, ‘इसकी शुरुआत सुप्रीम कोर्ट से होगी. इसके लिए कुछ खास नियमों का पालन किया जाएगा.’ कोर्ट ने कहा कि वह जनता के अधिकारों में संतुलन बनाने और वादकारियों की गरिमा की रक्षा के लिए शीघ्र ही आवश्यक नियम तैयार करेगी. साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि अदालत की कार्यवाही की मीडिया द्वारा लाइव स्ट्रीमिंग से न्याय व्यवस्था में जवाबदेही आएगी.
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