SC Hearing on Ayodhya Case Mediation Committee Petition: अयोध्या राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले पर हल निकालने के लिए बनी मध्यस्थता कमिटी को भंग करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मध्यस्थता कमिटी की ओर से अयोध्या रामजन्मभूमि विवाद मामले में तीनों पक्षकार रामलला विराजमान, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा के बीच बातचीत कर समाधान निकालने में कोई प्रगति नहीं की है. इसलिए मध्यस्थता पैनल को भंग किया जाए और सुप्रीम कोर्ट में ही अयोध्या मामले की सुनवाई की जाए.
नई दिल्ली. अयोध्या राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद मामले को लेकर बनी मध्यस्थता कमिटी के पैनल को भंग करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को सुनवाई करेगा. दरअसल गोपाल सिंह विशारद नाम के एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को याचिका दाखिल कर अयोध्या राम जन्मभूमि मामले पर बनी मध्यस्थता कमिटी को भंग करने की मांग की. इस याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि मध्यस्थता कमिटी को सभी पक्षों से बातचीत करने के लिए 8 हफ्तों का वक्त दिया गया था, जिसके बाद इसे आगे बढ़ाकर 15 अगस्त तक कर दिया. इसके बावजूद कमिटी ने इस मामले में कोई खास प्रगति नहीं की है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट मध्यस्थता कमिटी को भंग कर खुद इस मामले की सुनवाई करे.
गोपाल सिंह विशारद याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले मध्यस्थता के लिए कमेटी को आठ हफ्ते का समय दिया था. बाद में उसे बढ़ाकर 15 अगस्त तक कर दिया गया. अब तक मध्यस्थता कमिटी की मीटिंग के तीन दौर हुए हैं. अंतिम दौर जून में हुआ था लेकिन कोई खास प्रगति नहीं हुई है.
मध्यस्थता कमिटी की ओर से न तो ठोस प्रगति हुई और न ही कोई सुझाव आए. याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मामले का बातचीत से हल होने की कोई उम्मीद भी नजर नहीं आ रही है. ऐसे में जरूरी है कि कोर्ट मध्यस्थता पैनल को भंग कर मूल मामले की जल्द सुनवाई करे.
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ गुरुवार सुबह 10.30 बजे इस याचिका पर सुनवाई करेगी. इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस दया चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर शामिल हैं.
आपको बता दें कि 8 मार्च को अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले को सुलझाने के लिए तीन सदस्यों का मध्यस्थता पैनल गठित किया था. इस मध्यस्थता कमिटी में जस्टिस कलीफुल्ला, श्रीराम पंचू और श्री श्री रविशंकर को शामिल किया गया था. मध्यस्थता कमिटी को अयोध्या जमीन विवाद मामले में तीनों पक्षकार रामलला विराजमान, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा से बातचीत कर समाधान निकालने के लिए कहा था.