नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए जवाब दिया है कि चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए समिति में न्यायिक सदस्य का न होना आयुक्तों की योग्यता पर सवाल नहीं है। साथ ही केंद्र सरकार ने कहा था कि दाखिल की गई याचिका का मकसद राजनीति विवाद खड़ा करना है। […]
नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए जवाब दिया है कि चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए समिति में न्यायिक सदस्य का न होना आयुक्तों की योग्यता पर सवाल नहीं है। साथ ही केंद्र सरकार ने कहा था कि दाखिल की गई याचिका का मकसद राजनीति विवाद खड़ा करना है।
बता दें कि चयन समिति में मुख्य न्यायाधीश को शामिल न करने को लेकर एक गैर-सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। वहीं याचिकाकर्ताओं का यह मानना गलत है कि चयन समिति में न्यायिक सदस्य के नहीं होने से पक्षपात होगा। हालांकि केंद्र सरकार ने यह बात चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर अंतरिम रोक लगाने की मांग का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दाखिल किये गए हलफनामे में कही। सुप्रीम कोर्ट मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति व सेवा शर्त कानून 2023 पर रोक लगाने की मांग पर गुरुवार यानी 21 मार्च को सुनवाई करेगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की चयन समिति में प्रधानमंत्री के अलावा नेता विपक्ष और सीजेआई को रखने की बात थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बाद केंद्र सरकार ने नया कानून बनाया है। जिसमें चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए बनने वाली तीन सदस्यीय चयन समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता विपक्ष या सबसे बड़े दल के नेता व प्रधानमंत्री द्वारा नामित कैबिनेट मंत्री होता है। नये कानून में सीजेआइ को चयन समिति से बाहर कर दिया गया है। अर्जी पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।