मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- देश में बढ़ रहीं रेप की घटनाएं चिंता का विषय

मुजफ्फरपुर के शेेल्टर होम में बच्चियों से हुए रेप के मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने देवरिया केस का जिक्र तो किया ही साथ एनसीआरबी की रेप पर रिपोर्ट को लेकर भी चिंता जताई. कोर्ट ने कहा कि देश में बढ़ रहे रेप के मामले चिंता का विषय हैं इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.

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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- देश में बढ़ रहीं रेप की घटनाएं चिंता का विषय

Aanchal Pandey

  • August 7, 2018 1:43 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थित शेल्टर होम में बच्चियों से रेप पर सख्त सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के कहा कि हर 6 घंटे में रेप की घटनाएं सामने आ रही हैं ये देश में क्या हो रहा है. शीर्ष अदालत ने कहा कि एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो)  के आंकड़ों के मुताबिक मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 4,000 रेप की घटनाएं सामने आईं उसके बाद उत्तप प्रदेश में 2,000 लड़कियों के साथ रेप हुआ. कोर्ट ने कहा कोई इस गंभीर मामले पर कुछ करता क्यों नहीं.

एनसीआरबी की रिपोर्ट की मानें तो हर छह घंटे में देश में एक लड़की रेप कि शिकार हो रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 38,000 हजार से ज्यादा रेप के मामले दर्ज किए गए. देश में बढ़ रही इस तरह की घटनाएं चिंता का विषय है जिसस पर तत्काल कोई कदम उठाया जाना चाहिए. मुजफ्फपुर के शेल्टर होम में नाबालिग बच्चियों से रेप के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रोजना देश में लड़कियों के साथ रेप की घटनाएं सामने आ रही हैं.

शीर्ष अदालत ने बताया कि एनसीआरबी की रिपोर्ट की मानें तो साल 2017 में 38,427 रेप की घटनाएं सामने आईं. सबसे ज्यादा रेप मध्य प्रदेश में हुए यहां से 4,000 रेप के मामले प्रकाश में आए. वहीं 2,000 रेप के मामलों के साथ उत्तर प्रदेश इस केस में दूसरे नंबर पर है. कोर्ट ने देवरिया शेल्टर होम का भी जिक्र किया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि लेफ्ट, राइट और सेंटर हर जगह लड़कियों से रेप हो रहा है. यह हमारे लिए काफी चिंता विषय है. हमें ध्यान देना होगा कि इसे कैसे मॉनिटर किया जाए. एक चैनल ने सुप्रीम कोर्ट में इस विषय पर डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई.  

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के देवरिया स्थित शेल्टर होम में चल रहे देह व्यापार के खुलासे का जिक्र करते हुए कहा कि प्रिंट, सोशल या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया किसी भी बच्ची की फोटो दिखाए. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से भी सवाल किया है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उनके पास क्या योजना है. 

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