नई दिल्ली, चुनाव से पहले किए जाने वाले मुफ्त योजनाओं के वादों को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव प्रचार के दौरान ‘मुफ्त रेवड़ी’ बांटने के वादे एक गंभीर आर्थिक समस्या है, और इस समस्या से निपटने के लिए एक संस्था […]
नई दिल्ली, चुनाव से पहले किए जाने वाले मुफ्त योजनाओं के वादों को लेकर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चुनाव प्रचार के दौरान ‘मुफ्त रेवड़ी’ बांटने के वादे एक गंभीर आर्थिक समस्या है, और इस समस्या से निपटने के लिए एक संस्था की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर चुनाव आयोग और सरकार के साथ कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल से भी सुझाव माँगा है.
चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हिमा कोहली की बेंच ने कहा कि नीति आयोग, वित्त कमीशन, सत्ताधारी और विपक्षा पार्टियों, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और अन्य संस्थाओं को भी इस मामले में सुझाव देने चाहिए तभी इस रेवड़ी कल्चर को रोका जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने एक एक्सपर्ट बॉडी बनाने के लिए सात दिनों के अंदर सुझाव मांगे हैं, कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग के साथ ही कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल और याचिकाकर्ताओं से कहा है कि वे जल्द अपने सुझाव दें ताकि इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए जल्द से जल्द एक एक्सपर्ट बॉडी का गठन किया जा सके.
वहीं, रेवड़ी कल्चर पर बीते दिनों अरविंद केजरीवाल ने कहा था, ”दूसरी पार्टी वाले टीवी पर बैठकर मुझे गालियां देने वाले हैं, कहेंगे केजरीवाल फ्री की रेवड़ी बांट रहा है, लेकिन यह तो सारी रेवड़ी अपने दोस्तों को बांटते हैं. ये सारी रेवड़ी स्विस बैंकों में ले जाते हैं क्या ये सही है? केजरीवाल रेवड़ी स्विस बैंक में नहीं ले जाता है, जनता में बांट देता है. ये सारी रेवड़ी अपने मंत्रियों को बांटते हैं, हजारों करोड़ रुपए खर्च करके अभी एक बहुत बड़ा बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे बना, बहुत बड़ी सड़क बनी.”
“जिस दिन उद्घाटन हुआ उसके 5 दिन के अंदर ये सब धंस गए, इसका मतलब ठेकेदारों में इन्होंने रेवड़ी बांटी. तुम ठेकेदारों को रेवड़ी बांटते हो, दोस्तों को बांटते हो, मंत्रियों को बांटते हो, देश की सारी रेवड़ी स्विस बैंकों में ले जाते हो, लेकिन केजरीवाल सारी रेवड़ी जनता को बांटता है. यह प्रथा बंद होनी चाहिए, जो भी फ्री मिलेगा सिर्फ जनता को मिलेगा, इस बारे में जनता से ही पूछ लेना चाहिए.”
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