नई दिल्ली: शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के प्रदूषण पर सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की हालत इमरजेंसी जैसी हो गई है और पराली जलाने वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है।
कोर्ट ने पूछा, “क्या पराली जलाने में कोई कमी आई है? आप इसके खिलाफ सख्त कदम क्यों नहीं उठा रहे हैं? बैठकें क्यों नहीं हो रही?”
कोर्ट ने आगे कहा, “आपके सारे कदम सिर्फ कागजों तक ही सीमित हैं। क्या CAQM ने कानून के उल्लंघन पर कोई कार्रवाई की है? यदि आपने सख्ती नहीं दिखाई, तो ये कानून केवल कागज पर रह जाएंगे।”
– क्या दिल्ली की एयर क्वालिटी में सुधार हुआ है?
– क्या पराली जलाने पर नियंत्रण हो रहा है?
पिछली सुनवाई में, कोर्ट ने 27 अगस्त को दिल्ली-NCR के प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड में कर्मचारियों की कमी पर चिंता जताई थी। कोर्ट ने 5 राज्यों को आदेश दिया कि वे खाली पदों को 30 अप्रैल 2025 तक भरें, ताकि प्रदूषण को रोका जा सके।
CAQM के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने कोर्ट को बताया कि उनकी टीम ने 19,000 जगहों का निरीक्षण किया और 10,000 से ज्यादा फैक्ट्रियों को बंद किया है। उन्होंने 82 कानूनी आदेश और 15 सुझाव भी जारी किए हैं।
कोर्ट का जवाब: तीन साल में सिर्फ 82 निर्देश जारी किए हैं, जो काफी नहीं है। CAQM को और एक्टिव होने की जरूरत है। आपको यह देखना होगा कि आपके कदमों से प्रदूषण कम हो रहा है या नहीं।
दरअसल, 2021 में केंद्र सरकार ने दिल्ली-NCR और आसपास के इलाकों में बढ़ते प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए CAQM का गठन किया था।
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