सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि मस्जिद कमेटी को अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने का मौका दिया जाना चाहिए. यह जिला न्यायालय या उच्च न्यायालय हो सकता है.
नई दिल्ली: संभल जामा मस्जिद सर्वे मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई. मुस्लिम पक्ष ने इस मामले पर याचिका दायर की थी. मामले में सुनवाई के दौरान CJI संजीव खन्ना ने कहा कि हमने आदेश देखा है. हम फिलहाल इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. मस्जिद कमेटी को अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल करने का मौका मिले. सीजेआई ने आगे कहा कि हम मामले को अपने पास लंबित रखेंगे. हम चाहते हैं कि वहां शांति बनी रहे.जिला न्यायालय मध्यस्थता पर भी विचार कर सकता है.
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने अपनी टिप्पणी में आगे कहा कि अगर मस्जिद कमिटी सिविल जज के आदेश के खिलाफ अपील करती है, इसलिए इसे 3 दिन में सुनवाई के लिए रखा जाना चाहिए. हम याचिका को लंबित रख रहे हैं. हम इसे 6 जनवरी से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध करेंगे. ट्रायल कोर्ट को अभी कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. कमिश्नर की रिपोर्ट को सीलबंद रखना चाहिए.
मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में कहा है कि 19 नवंबर को संभल कोर्ट में मस्जिद को हरिहर मंदिर होने का दावा करते हुए याचिका दायर की गई थी. इसी दिन सीनियर डिवीजन सिविल जज ने मामले की सुनवाई की और मस्जिद समिति का पक्ष सुने बिना ही सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त कर दिया. वहीं एडवोकेट कमिश्नर 19 की शाम ही सर्वे के लिए पहुंच भी गए. 24 तारीख को फिर से सर्वे किया गया.जिस तेजी से पूरी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया, उससे लोगों में संदेह पैदा हुआ और वे घरों से बाहर निकल आए. जब भीड़ हिंसक हो गई, तो पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिसमें छह लोग मारे गए.
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि शाही मस्जिद 16वीं शताब्दी से ही वहां है. इतनी पुरानी धार्मिक इमारत का सर्वेक्षण करने का आदेश पूजा स्थल अधिनियम और प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल अधिनियम के विरुद्ध है. अगर यह सर्वेक्षण जरूरी भी था तो इसे दूसरे पक्ष को सुने बिना एक ही दिन में नहीं किया जाना चाहिए था.
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