नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने स्पाइसजेट को कुछ कर्मचारियों को दोबारा काम पर रखने के लिए दिए गए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में बदलाव के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की इजाजत दी है। इन कर्मचारियों का सर्विस कॉन्ट्रैक्ट 31 दिसंबर, 2021 को कोरोना महामारी के बाद या तो खत्म हो गया था, या […]
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने स्पाइसजेट को कुछ कर्मचारियों को दोबारा काम पर रखने के लिए दिए गए बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश में बदलाव के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की इजाजत दी है। इन कर्मचारियों का सर्विस कॉन्ट्रैक्ट 31 दिसंबर, 2021 को कोरोना महामारी के बाद या तो खत्म हो गया था, या फिर उसे खत्म कर दिया गया था। सर्वोच्च न्यायालय ने बताया है कि स्पाइसजेट को हाईकोर्ट के आगे गुहार लगाते हुए किस बात का हवाला देना है।
कोर्ट ने स्पाइसजेट से कहा कि वह उच्च न्यायालय में आदेश में बदलाव के लिए अपने फ्लाइट ऑपरेशन के कम होने की दलील दें। केवल इतना ही नहीं, बल्कि उच्च न्यायालय को कर्मचारियों की सर्विस की अवधि और फ्लाइट ऑपरेशन की संख्या में कमी से जुड़े हुए दस्तावेज भी दिखाए जाएं। बता दें कि वर्तमान में स्पाइसजेट रोजाना 165 फ्लाइट्स का संचालन कर रहा है। गौरतलब है कि कोविड महमारी का असर विमानन कंपनियों पर भी पड़ा है।
पिछले हफ्ते पास किए गए अपने आदेश में जस्टिस जेके महेश्वरी और केवी विश्वनाथन ने पाया कि इस वर्ष जब मई के महीने में उच्च न्यायालय ने ऑर्डर पास किया। बता दें कि उस वक्त स्पाइसजेट रोजाना 242 फ्लाइट्स का संचालन कर रही थी। स्पाइसजेट की तरफ से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सीयू सिंह और वकील नुपुर कुमार ने बताया कि तब से लेकर अब तक कंपनी का काम कम हो रहा है। उन्होंने कोर्ट में बताया कि वर्तमान में रोजाना सिर्फ 165 फ्लाइट्स उड़ान भर रही हैं।
दरअसल, सेंट्रल गवर्नमेंट इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल-2 (CGIT-2) ने 10 जनवरी 2022 को एक आदेश पास किया। इसमें ट्रिब्यूनल ने बताया कि एयरलाइन को उन सभी 462 कर्मचारियों को नौकरी पर रखना होगा, जिनका कॉन्ट्रैक्ट दिसंबर 2021 में खत्म हो गया था। ट्रिब्यूनल के इस आदेश के खिलाफ स्पाइसजेट बॉम्बे उच्च न्यायालय पहुंचा, जहां अदालत ने सिर्फ 371 कर्मचारियों को नौकरी पर रखने का फैसला दिया। अदालत ने यह भी कहा कि या तो उनको नौकरी पर रखा जाए या फिर उनको बैंक गारंटी दी जाए। हाई कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ स्पाइसजेट सर्वोच्च न्यायालय गई थी।