8 मामलों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गठित की संविधान पीठ, नाराज जजों को रखा बाहर

सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी से 8 मामलों की सुनवाई के लिए नया रोस्टर बनाया है. आधार सहित 8 मामलों की सुनवाई के लिए संविधान पीठ गठित की गई हैं जिसमें मुख्य न्यायधीश के कामकाज पर सवाल उठाने वाले जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ को बाहर रखा गया है.

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8 मामलों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गठित की संविधान पीठ, नाराज जजों को रखा बाहर

Aanchal Pandey

  • January 13, 2018 5:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा 4 जजों ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रधान न्यायधीश दीपक मिश्रा के काम काज पर सवाल खड़े किए. इस मामले को सुलझाने के प्रयत्न किये जा रहे हैं वहीं, 8 मामलों की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक संविधान पीठ गठित की गई है जिसमें इन चारों जजों में से किसी को शामिल नहीं किया गया है. 17 जुलाई से जिन मामलों की सुनवाई होनी है उनमें पहला मामला आधार का है जिसपर सुनवाई होनी है. इस मामले की सुनवाई के लिए गठित की गई संविधान पीठ में मुख्य न्यायधीश के कामकाज पर सवाल उठाने वाले जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ को बाहर रखा गया है.

सूत्रों के मुताबिक, जज मुख्य न्यायधीश द्वारा केसों के निपटारे के लिए बनाए जाने वाले रोस्टर को लेकर नाराज थे. वहीं इस रोस्टर में इन चारों ही जजों को बाहर रखने के संकेत मिल रहे हैं. सूत्र बता रहे हैं कि मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा कल यानि रविवार शाम को नाराज जजों से मुलाकात कर मामला सुलझाने की कोशिश करेंगे. यह मुलाकात आज ही होनी थी लेकिन नाराज चार जजों में से तीन आज दिल्ली से बाहर हैं. वे कल दोपहर बाद दिल्ली लौटेंगे. इसके बाद मुख्य न्यायधीश उनसे मुलाकात करेंगे. जिन आठ मामलों की सुनवाई 17 जुलाई से होनी है उनमें अभी सिर्फ आधार मामले को लेकर ही संविधान पीठ को सौंपा गया है. इसी आधार पर माना जा रहा है कि बाकी सात मामलों की सुनवाई के लिए भी जो संविधान पीठ गठित की जाएगी उसमें भी चारों जजों को बाहर रखा जाएगा.

आपको बता दें कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार जजों जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मीडिया को संबोधित करके चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के कामकाज और सुप्रीम कोर्ट प्रशासन पर सवाल खड़े किए थे. जस्टिस चेलेमेश्वर ने कहा था कि यह किसी भी देश के इतिहास में अभूतपूर्व घटना है क्‍योंकि हमें मीडिया के सामने आने के लिए मजबूर होना पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है और लोग 20 साल बाद ये ना कहें कि हमने जमीर बेच दी थी इसलिए हम जनता की अदालत में बात रख रहे हैं.

सूत्रों का कहना है कि ये सब सुप्रीम कोर्ट में कौन जज किस केस की सुनवाई करेगा, इसको लेकर हो रहा है. नवंबर में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने ये अधिकार अपने पास सुरक्षित कर लिया था और साफ कर दिया था कि कोई दूसरा जज अपने कोर्ट में सीधे मेंशन या याचिका पर आदेश नहीं पारित करेगा. सूत्रों का कहना है कि सोहराबुद्धीन शेख फर्जी मुठभेड़ केस के जज जस्टिस लोया की संदिग्ध मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई का भी जजों के मतभेद से संबंध है. जस्टिस लोया की संदिग्ध मौत की सुनवाई सोमवार को टाल दी गई है क्योंकि इस मामले की सुनवाई कर रही पीठ के एक जज सोमवार को अनुपस्थित रहेंगे.

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