नई दिल्ली. एससी/एसटी एक्ट के प्रावधानों को हल्का करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल नरेंद्र मोदी सरकार की पुनर्विचार याचिका पर अदालत ने अपना फैसला आंशिक तौर पर बदल लिया है. कोर्ट ने पुराने फैसले में कुछ आंशिक बदलाव किए हैं. कोर्ट की ओर से बदले गए नए नियमों के अनुसार, अब पुलिस को सरकारी कर्मचारी और सामान्य नागरिक को गिरफ्तार करने से पहले किसी भी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी. जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एम आर शाह और जस्टिस बी आर गवई की पीठ ने यह फैसला सुनाया है.
नरेंद्र मोदी सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद अदालत ने उस नियम में भी बदलाव किया जिसमें शिकायत दर्ज होने पर जांच के बाद ही एफआईआर की जाती थी. नए नियम के अनुसार, अब इस तरह के मामले में शिकायत मिलने पर पहले जांच की जरूरत नहीं है.
कोर्ट का यह फैसला नरेंद्र मोदी की भाजपा सरकार की बड़ी जीत मानी जा रही थी. क्योंकि साल 2018 में जब कोर्ट ने एससीएसटी एक्ट के कुछ हिस्सों को कमजोर करने का फैसला दिया था तो देश के दलित संगठनों विरोध पर उतर आए. इसी विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार ने अदालत के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी.
सु्प्रीम कोर्ट ने पिछले साल एससी/एसटी एक्ट को लेकर कहा था कि अब शिकायत मिलने पर कथित आरोपी की गिरफ्तारी सीधी नहीं की जा सकेगी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में अंतरिम जमानत का प्रावधान किया था और गिरफ्तारी से पहले पुलिस को एक प्रारंभिक जांच करने के आदेश दिए थे.
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