नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में धर्म परिवर्तन मामले पर चिंता जाहिर हुए कहा कि इसे राजनीतिक रंग बिलकुल नहीं दिया जाना चाहिए। धर्म परिवर्तन एक बेहद गंभीर मुद्दा है और इस मामले में कोई तर्क नहीं जोड़ने चाहिए। बता दें, वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल की थी। […]
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में धर्म परिवर्तन मामले पर चिंता जाहिर हुए कहा कि इसे राजनीतिक रंग बिलकुल नहीं दिया जाना चाहिए। धर्म परिवर्तन एक बेहद गंभीर मुद्दा है और इस मामले में कोई तर्क नहीं जोड़ने चाहिए। बता दें, वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल की थी। जानकारी के मुताबिक , याचिका में छल या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकारों को सख्त कदम उठाने को कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन के मुद्दे पर भाजपा के प्रवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय के इशारे पर उनके हस्तक्षेप को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही कोर्ट ने बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए केंद्र से इस गंभीर मुद्दे पर कड़े कदम उठाने को कहा था।
बता दें , जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से 7 फरवरी तक इस संबंध में सुझाव देने का अनुरोध किया है और कहा है कि इस गंभीर मुद्दे पर पुख्ता जांच की जाए । मिली जानकारी के मुताबिक , जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमानी को कहा कि वे चाहते हैं ‘अगर बलपूर्वक या फिर लालच से धर्मांतरण हो रहे हैं तो इस बात की जांच की जाए और अगर ऐसा हो रहा है तो हमें इन मुद्दों पर आगे क्या करना चाहिए और इसमें सुधार के लिए क्या कदम उठाने चाहिए। ‘
बता दें , कोर्ट ने कहा कि उन्हें पूरे देश की चिंता है और इन मामले में राजनीति लाकर अदालत की कार्यवाही को अलग दिशा की ओर मोड़ने की कोशिश न करें। यह बात कहकर अदालत एक राज्य के खिलाफ बार – बार निशाना साध रही है। अदालत का कहना है कि इसका राजनीतिकरण न किया जाए और अगर आपके राज्य में जबरन धर्मांतरण नहीं हो रहा है तो ये अच्छी बात है। जानकारी के मुताबिक , वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल की थी। जिसमें की छल या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकारों को सख्त कदम उठाने को कहा गया था। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बलपूर्वक धर्मांतरण को देश की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बताते हुए केंद्र से इस गंभीर मुद्दे पर कड़े कदम उठाने को कहा गया है।
गौरतलब है कि , गुजरात सरकार ने शादी के लिए धर्मांतरण से पहले जिलाधिकारी की इजाजत को अनिवार्य करने वाले कानून को बनाया था। लेकिन , गुजरात हाईकोर्ट ने इस कानून को स्टे कर दिया था। बता दें , स्टे हटवाने के लिए गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और इसी बीच गुजरात सरकार ने बताया था कि धर्म की स्वतंत्रता में धर्मांतरण का अधिकार शामिल नहीं होता है। याचिका में बताया गया है कि जबरन धर्मांतरण पूरे देश की समस्या बन गया है और तुरंत इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
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