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Demonetisation: सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, नोटबंदी को सही ठहराया

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटबंदी को लेकर दायर याचिकाओं पर आज फैसला सुनाया है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा 2016 में किए गए नोटबंदी के फैसले को सही करार देते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। पांच न्यायमूर्तियों की संविधान पीठ ने इस पर फैसला सुनाते हुए कहा […]

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Demonetisation
  • January 2, 2023 11:57 am Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटबंदी को लेकर दायर याचिकाओं पर आज फैसला सुनाया है। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा 2016 में किए गए नोटबंदी के फैसले को सही करार देते हुए सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। पांच न्यायमूर्तियों की संविधान पीठ ने इस पर फैसला सुनाते हुए कहा कि निर्णय को कार्यकारी की आर्थिक नीति होने की वजह से उल्टा नहीं जा सकता है।

चलन से बाहर हो गए थे 1000 और 500 के नोट

केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा 8 नवंबर 2016 को देश में अचानक नोटबंदी लागू कर दिया गया था और 1000-500 के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार के इस फैसले के बाद पूरे देश के लोगों को अपने नोटों को बदलवाने के लिए बैंकों के सामने लंबी-लंबी लाइने लगानी पड़ी थी। सरकार के इस फैसले के बाद कोर्ट में 58 याचिकाएं दाखिल हुई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने 2 जनवरी यानी आज फैसला दिया है।

7 दिसंबर से फैसला है सुरक्षित

आज सुप्रीम कोर्ट केंद्र की मोदी सरकार द्वारा 2016 में नोटबंदी कराने के निर्णय के खिलाफ 58 याचिकाओं पर फैसला सुनाया है। बता दें कि न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने पांच दिन की बहस के बाद 7 दिसंबर को फैसला सुरक्षित कर लिया था। अब न्यायमूर्ति अपनी रिटायरमेंट से ठीक दो दिन पहले यानी आज इस पर फैसला सुनाया है।

संवैधानिक बेंच में शामिल हैं ये जज

बता दें कि नोटबंदी पर फैसला देने वाले 5 जजों की संवैधानिक बेंच में न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर, न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यन, और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना शामिल हैं।

पिछली बार कोर्ट ने दिया था ये आदेश

गौरतलब है कि पिछली बार अदालत ने नोटबंदी के मामले में फैसला सुरक्षित करते हुए, केंद्र और आरबीआई से नोटबंदी से जुड़े सभी दस्तावेज और जरुरी रिकॉर्ड अदालत पेश करने को कहा था और इसको सीलबंद लिफाफे में जमा कर दिया गया था।

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