Supreme Court: 2015 में दाखिल इस याचिका में जजों के कम वेतन और सेवानिवृत्ति के बाद उचित पेंशन न मिलने की बात कही गई है. इस बारे में पूरे देश में एक जैसी नीति न होने का भी हवाला दिया गया है.
नई दिल्ली: दिल्ली चुनाव में फ्री की रेवड़ी बांटने में न आम आदमी पार्टी, न भाजपा और न ही कांग्रेस पीछे रही । तीनों पार्टियां अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने का पूरा प्रयास कर रही हैं। दिल्ली चुनाव की घोषणा भी हो गई है। दिल्ली में मतदान 5 फरवरी को होगा और नतीजे 8 तारीख को आएंगे। इसी बीच न्यायाधीशों को पेमेंट न देने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने जिला अदालतों के न्यायाधीशों के वेतन और पेंशन पर राज्य सरकारों के रवैये को लेकर असंतोष व्यक्त किया है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों के पास उन लोगों के लिए पैसे होते हैं, जो कोई काम नहीं करते, लेकिन जब जजों के वेतन और पेंशन की बात आती है तो वे आर्थिक कठिनाइयों का हवाला देती हैं। ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने चुनावी घोषणाओं का उदाहरण दिया। कोर्ट ने कहा कि चुनाव के दौरान मुफ्त योजनाओं का ऐलान किया जाता है, जैसे दिल्ली में कुछ पार्टियां हर महीने 2500 रुपए देने का वादा कर रही हैं।
यह याचिका 2015 में दायर की गई थी, जिसमें जजों के कम वेतन और उचित पेंशन न मिलने की समस्या को उठाया गया था। इसमें पूरे देश में समान नीति का अभाव भी बताया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में वरिष्ठ वकील को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मुफ्त योजनाएं अस्थायी हैं, जबकि वेतन और पेंशन में वृद्धि स्थायी मामला है, जिसे राजस्व पर प्रभाव को देखते हुए विचार करना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले की सुनवाई अब स्थगित नहीं की जाएगी, क्योंकि यह काफी समय से लंबित है। अटॉर्नी जनरल ने बताया कि सरकार एक नई अधिसूचना लाने की योजना बना रही है, जिससे याचिका में उठाए गए मुद्दों का समाधान किया जा सके।
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