नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर आज अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने भारत में LGBTQIA+ समुदाय को वैवाहिक समानता का अधिकार देने से इनकार कर दिया है. प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह मामले को लेकर कहा कि कि इस मामले में 4 अलग-अलग फैसले हैं. प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने समलैंगिक विवाह को कानूनी रूप से वैध ठहराए जाने का अनुरोध करने वाली 21 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि विशेष विवाह अधिनियम में बदलाव करना संसद का काम है और न्यायालय कानून की सिर्फ व्याख्या कर सकता है उसे बना नहीं सकता है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायालय सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का यह बयान दर्ज करता है कि केंद्र समलैंगिक लोगों के अधिकारों के संबंध में फैसला करने के लिए पैनल बनाएगा. इसी दौरान न्यायमूर्ति एस. के. कौल ने समलैंगिक जोड़ों को कुछ अधिकार दिए जाने को लेकर प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ से सहमति जताई. न्यायमूर्ति कौल ने कहा कि समलैंगिक और विपरीत लिंग के संबंधों को एक ही सिक्के के दो पहलुओं के रूप में देखा जाना चाहिए. समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता देना वैवाहिक समानता की तरफ एक कदम है।
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