Supreme Court Rafale Deal Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे की पुनर्विचार याचिका पर बुधवार को सुनवाई करते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को तगड़ा झटका दिया है. कोर्ट पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई करेगा. कोर्ट ने कहा कि चुराए गए दस्तावेज कोर्ट में मान्य हैं.
नई दिल्ली. राफेल सौदा जिसमें फ्रांस से 36 जुड़वां इंजन वाले फाइटर जेट की खरीद होनी है. इसको लेकर भारत में राजनीति गर्माई हुई है. इस सौदे में भारत की लागत 58,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. हालांकि भारत में विपक्ष ने दावा किया है कि भारत को ये सौदा तीन गुना लागत पर पड़ रहा है और सरकार द्वारा इस सौदे में भारतीय भागीदार को गलत तरीके से चुना गया था.
इसपर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि डील से जुड़े दस्तावेजों की जांच की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट सभी दस्तावेज देखेगा और सरकार की आपत्ति को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों की वैधता को मंजूरी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई में पुनर्विचार याचिकाओं पर विस्तार से सुनवाई करेगें.
डील से जुड़े प्रमुख लोग
– प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्होंने 2015 में इस समझौते को फिर शुरू किया था और उन्हीं की सरकार ने इस पर अधिकांश वार्ता की.
– डसॉल्ट एविएशन विवाद के केंद्र में फ्रांसीसी विमान निर्माता कंपनी.
– कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी जिन्होंने इस सौदे में पारदर्शिता की कमी के विपक्ष के आरोपों का नेतृत्व किया है और सौदे के विवरण को सार्वजनिक करने का आह्वान किया है.
– अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस लिमिटेड सौदे में भारतीय भागीदार जो कांग्रेस का कहना है कि गलत तरीके से चुनी गई थी.
– सुप्रीम कोर्ट जिसने एक बार इस विवाद पर फैसला सुनाते हुए विराम लगा दिया था और कहा था कि डील में कोई कमी नहीं है.
अब तक क्या हुआ
– अप्रैल 2015 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि भारत फ्रांसीसी विमान निर्माता डसॉल्ट एविएशन से फ्रांसीसी-निर्मित राफेल लड़ाकू जेट खरीदेगा.
– संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस और यूरोप से विमान के प्रस्तावों पर यूपीए 2 के कार्यकाल के दौरान 2012 में राफेल जेट को चुना गया था. मूल योजना दसॉल्ट से 18 ऑफ-द-शेल्फ जेट खरीदने की थी और मेक-इन-इंडिया पहल को बढ़ावा देने के लिए 108 अन्य को भारत में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा बेंगलुरु में एक साथ रखा जाएगा.
– 2016 में सौदे की लागत पर प्रारंभिक चर्चा के बाद भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने फ्रांस से 36-रेडी-टू-फ्लाई विमान खरीदने का फैसला किया.
– सितंबर 2016 में, भारत ने फ्रांस के साथ एक अंतर सरकारी समझौते (आईजीए) पर हस्ताक्षर किए, जहां भारत 36 जुड़वां इंजन जेट के लिए 58,000 करोड़ रुपये (7.87 बिलियन यूरो) का भुगतान करेगा. इस लागत का लगभग 15 प्रतिशत अग्रिम भुगतान किया जा रहा है.
– समझौते में एक ऑफसेट क्लॉज शामिल था, जिसमें कहा गया था कि कुल 7.8 बिलियन यूरो, फ्रांस मेक-इन-इंडिया पहल को आगे बढ़ाने के लिए राफेल घटकों के स्थानीय उत्पादन में 20 प्रतिशत का निवेश करेगा और 30 प्रतिशत विभिन्न वैमानिकी में जाएगा
– ऑफसेट क्लॉज के तहत सूचीबद्ध लगभग 75 फर्मों में से, राफेल, डसॉल्ट एविएशन के निर्माताओं को किसी भी कंपनी को चुनने की अनुमति दी गई थी जो फ्रांस के लिए उक्त राशि का निवेश करना चाहती है.
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– नवंबर 2017 में, कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार सौदे की कीमत के बारे में पारदर्शी नहीं है. पार्टी ने आरोप लगाया कि एनडीए सरकार प्रत्येक विमान के लिए उस राशि का तीन बार भुगतान कर रही थी जो यूपीए ने सहमति दी थी.
– कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को ऑफसेट क्लॉज के तहत भारतीय भागीदार के रूप में गलत तरीके से चुना गया था. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मांग की कि सरकार इस सौदे का ब्योरा जनता के सामने रखे.
– फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद की हालिया टिप्पणी है कि भारत सरकार ने राफेल सौदे के लिए रिलायंस डिफेंस को सुझाव दिया और फ्रांसीसी सरकार ने इस मामले में कोई विवाद नहीं होने की बात कही. इस सौदे की सीबीआई जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई.
– रक्षा मंत्रालय ने एक बयान दिया कि डसॉल्ट को भारतीय कंपनी चुनने की स्वतंत्रता थी और न तो भारत सरकार और न ही फ्रांसीसी सरकार ने उस फैसले को प्रभावित किया.
– सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि सौदा पूरी तरह से पारदर्शी है, लेकिन इस जानकारी को फ्रांस और भारत के बीच अंतर-सरकारी समझौते के तहत वर्गीकृत करार दिए जाने के बाद से सौदे का विवरण रिकॉर्ड में रखना संभव नहीं था.
– अधिकारियों के अनुसार, समझौते में सौदे में एक गोपनीयता का खंड है जो राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं के कारण जोड़ा गया था, जो खरीदार और विक्रेता को सौदे की कीमत के किसी भी विवरण का खुलासा करने से मना करता है.
– सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों की वैधता को मंजूरी दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे में तीन दस्तावेजों को स्वीकार करने की अनुमति दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई में पुनर्विचार याचिकाओं पर विस्तार से सुनवाई करेगें.