नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय से सोमवार को देश विरोधी गतिविधियों के लिए यूएपीए के तहत प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पीएफआई की याचिका सुनने से मना कर दिया है। पीएफआई ने याचिका प्रतिबंध को दाखिल की थी। उच्चतम न्यायालय ने याचिका को सुनने से इनकार करते हुए कहा कि ये मामला पहले हाईकोर्ट में जाना चाहिए था। आपको उच्च न्यायालय की दरवाजा खटखटाने की चुनौती है। बता दें कि केंद्र के प्रतिबंध की पुष्टी करने वाले यूएपीए ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ पीएफआई ने याचिका दाखिल की थी।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और न्यायामूर्ती बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि पीएफआई के लिए सही होगा कि वह न्यायाधिकरण के खिलाफ पहले हाईकोर्ट की तरफ रुख करे। वहीं पीएफआई की ओर पेश वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने अदालत के इस विचार से सहमति जताई कि संगठन को पहले हाईकोर्ट का रुख करना चाहिए था फिर सुप्रीम कोर्ट में आना चाहिेए था।
पीएफआई ने अपनी याचिका में यूएपीए ट्रिब्यूनल के 21 मार्च के फैसले को चुनौती दी थी। जिसके तहत केंद्र के 27 सितंबर 2022 के फैसले की पुष्टि की गई थी। केंद्र ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठनों के साथ कथित संबंधों और देश में सांप्रदायिक घृणा फैलाने की कोशिश के लिए पीएफआई पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था।
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