नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज 12वीं क्लास के बाद 3 साल का एलएलबी कोर्स करने का आदेश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है। बता दें कि इस समय एलएलबी कोर्स 5 वर्ष का है। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना था कि अभी बीए-एलएलबी कोर्स 5 साल का […]
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज 12वीं क्लास के बाद 3 साल का एलएलबी कोर्स करने का आदेश देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया है। बता दें कि इस समय एलएलबी कोर्स 5 वर्ष का है। अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय का कहना था कि अभी बीए-एलएलबी कोर्स 5 साल का होता है, इसे तीन सालों का करने देने की जरूरत है। इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि यह समय भी कम ही है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करने से मना कर दिया। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का निर्णय किया। याचिकाकर्ता का कहना था कि छात्र तीन साल यानी छह सेमेस्टर में 15-20 विषय आसानी से पढ़ सकते हैं। इसलिए एलएलबी कोर्स के लिए पांच साल यानी 10 सेमेस्टर की वर्तमान अवधि सही नहीं है। याचिकाकर्ता का कहना था कि छात्रों पर लंबी डिग्री पूरी करने के लिए अधिक वित्तीय बोझ बढ़ेगा।
याचिकाकर्ता का कहना है कि लंबा और बहुत ज्यादा कोर्स छात्रों को कानून की पढ़ाई के प्रति हतोत्साहित करता है। मेधावी और बहुत गरीब बच्चे इसके बजाए इंजीनियरिंग, सिविल सर्विसेज या कोई और कोर्स को चुनते हैं। कहा गया है कि बीए-एलएलबी और बीबीए-एलएलबी दोनों स्नातक कोर्स हैं और ऐसे में छात्र के करियर में दोनों की जरूरत नहीं है। पांच साल की तुलना में तीन साल के कोर्स की फीस कम होगी। किसी छात्र ने 12वीं में अगर विज्ञान विषय लिए हैं तो इस कोर्स के लिए आवश्यक रूप से आर्ट या कामर्स पढ़ने का उस पर बोझ डालना प्रताड़ना जैसा है।
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