नई दिल्ली। जबरन धर्मांतरण को लेकर केंद्र द्वारा कोर्ट के समक्ष गुहार लगाने वाली भाजपा के लिए खुशी का दिन है, पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार से जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए योजना पूछी थी साथ ही कोर्ट ने हलफनामा भी मांगा था। केद्र द्वारा आज हलफनामा कोर्ट मे दाखिल किया जा […]
नई दिल्ली। जबरन धर्मांतरण को लेकर केंद्र द्वारा कोर्ट के समक्ष गुहार लगाने वाली भाजपा के लिए खुशी का दिन है, पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार से जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए योजना पूछी थी साथ ही कोर्ट ने हलफनामा भी मांगा था। केद्र द्वारा आज हलफनामा कोर्ट मे दाखिल किया जा सकता है।
जबरन धर्मांतरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस मामले में दखल देने के लिए कहा था। साथ ही कोर्ट ने इस मामले में केंद्र को ईमानदारी से कोशिश करने के निर्देश दिए हैं. धर्मांतरण को लेकर कोर्ट ने बेहद ही अहम बात कह दी है, उन्होने कहा है कि, यदि जबरन धर्मांतरण नहीं रोका गया तो बेहद ही मुश्किल परिस्थितियां खड़ी हो जाएंगी।
जबरन धर्मांतरण को लेकर केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता न कहा कि, धर्म परिवर्तन के ऐसे मामले आदिवासी इलाकों में ज्यादा देखे जाते हैं। इस आरोप को लेकर कोर्ट ने सवाल किया कि यदि ऐसी घटनाएं घट रहीं हैं तो सरकार क्या कर रही है। इसके बाद न्यायालय ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए हैं कि, वह साफ करे कि इस मामले में सरकार किस तरह के कदम उठाने वाली है
न्यायालय ने साफ कर दिया है कि, संविधान के तहत धर्मांतरण गैरकानूनी नहीं है, लेकिन जबरन धर्मांतरण गैरकानूनी है।
जबरन धर्मांतरण को लेकर भाजपा नेता एवं एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने एक याचिका दायर की थी, इस याचिका में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए अलग से कानून बनाने की मांग की गई थी। साथ ही याचिका में न्यायालय को अवगत करवाया गया था कि, यह मामला किसी क्षेत्र विशेष का नहीं है बल्कि पूरे देश की समस्या है इस पर ध्यान देना आवश्यक हो गया है।