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Shiv Sena MLAs Disqualification: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- सभी पक्ष दाखिल करें हलफनामा, सुरक्षित रखा जाए विधानसभा का रिकॉर्ड

Shiv Sena MLAs Disqualification: नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज शिवसेना के दोनों गुटों की अर्जी पर सुनवाई हुई। जिसमें शिवसेना के उद्धव ठाकरे खेमे के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और शिवसेना के एकनाथ शिंदे खेमे के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने देश की सबसे बड़ी अदालत में अपनी दलील रखी। इसी बीच सर्वोच्च अदालत […]

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Shiv Sena MLAs Disqualification: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- सभी पक्ष दाखिल करें हलफनामा, सुरक्षित रखा जाए विधानसभा का रिकॉर्ड
  • July 20, 2022 1:11 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

Shiv Sena MLAs Disqualification:

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में आज शिवसेना के दोनों गुटों की अर्जी पर सुनवाई हुई। जिसमें शिवसेना के उद्धव ठाकरे खेमे के सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और शिवसेना के एकनाथ शिंदे खेमे के वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने देश की सबसे बड़ी अदालत में अपनी दलील रखी। इसी बीच सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि सभी पक्ष कोर्ट में अपना हलफनामा दाखिल करें। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के सभी रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। अब इस मामले पर सुनवाई 1 अगस्त को होगी।

जानिए किसने क्या दलील दी ?

उद्धव गुट की तरफ से पेश हुए वकील कपिल सिब्बल की दलील-

सिब्बल- शिवसेना से अलग होने वाले विधायक अयोग्य हैं। उन्होंने अभी किसी दल के साथ विलय भी नहीं किया है।

सिब्बल- मैं कोर्ट में राज्यपाल पर कुछ बिंदु रखना चाहता हूँ। केस सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहते दूसरे गुट को आमंत्रित कर दिया। फिर स्पीकर ने भी उन्हें वोट डालने का मौका दे दिया

सिब्बल- सभी बिंदुओं पर कोर्ट को फैसला लेना है। सुप्रीम कोर्ट विधानसभा से सभी रिकॉर्ड तलब कर ले और उन्हें देखे। ये भी देखे कि इस मामले में कब क्या कार्रवाई हुई? और किस तरह से कार्रवाई हुई?

सिब्बल- अयोग्य लोगों को इस तरह लंबे समय तक नहीं रहने देना चाहिए. जल्द सुनवाई हो।

एकनाथ शिंदे गुट से पेश हुए वकील हरीश साल्वे की दलील-

साल्वे- मैं कोर्ट में तथाकथित पापियों की तरफ से पेश हुआ हूँ। क्या किसी भी पार्टी में रहते हुए नेता पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है? क्या ये नहीं बताया जा सकता है कि अब आपको बहुमत का समर्थन नहीं है?

साल्वे- एक राजनीतिक पार्टी को भी लोकतांत्रिक तरीके से ही चलना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश- इस पर हमारी कुछ शंकाएं हैं। ये राजनीतिक मुद्दा है इसीलिए मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। लेकिन पार्टी में बंटवारे के बिना व्हिप जारी होने का क्या परिणाम होगा?

साल्वे- किसी भी सदस्य की सदस्यता तभी जाती है जब कोई पार्टी छोड़ दे या व्हिप के खिलाफ वोट करे। लेकिन क्या जिसे 15-20 विधायकों का भी समर्थन न हो, उसे कोर्ट के ज़रिए वापास लाया जा सकता है?

मुख्य न्यायाधीश – ये अलग मसला है।

मुख्य न्यायाधीश- मैंने पहले कर्नाटक केस में कहा था कि ये सब विवाद पहले हाईकोर्ट में तय होना चाहिए। लेकिन आप सीधे सुप्रीम कोर्ट आ गए।

साल्वे- ये परिस्थितियों की ज़रूरत थी कि डिप्टी स्पीकर को तुरंत कार्रवाई से रोका जाए। लेकिन फिर दूसरे पक्ष ने कई तरह की मांगें यहां रख दीं।

साल्वे- सुप्रीम कोर्ट के सामने पहले से रखी गई कई मांगें अब पूरी तरह अर्थहीन हो गई हैं। सुनील प्रभु की याचिका देखिए।

मुख्य न्यायाधीश – आज हमारे सामने सभी याचिकाएं नहीं रखी हैं।

साल्वे- विधनसभा स्पीकर के निर्वाचन को चुनौती दी गई है, लेकिन इसके लिए सही आधार नहीं बताए गए हैं। अब और कुछ याचिकाएं भी दाखिल हो गई हैं। अगर कोर्ट इन्हें बी सुनना चाहता है, तो हमें सब पर जवाब दाखिल करने के लिए कम से कम एक हफ्ते का समय दीजिए।

मुख्य न्यायाधीश- बेहतर तो होता अगर आज हम सुनवाई के कानूनी बिंदु तय कर पाते। ठीक है हम इस सुझाव से सहमत हैं। दोनों पक्ष अब एक-एक पेपरबुक (फ़ाइल) जमा करें।

सुप्रीम कोर्ट- सभी दलीलों को लिखते हुए हमारे सामने 2 पेपरबुक जमा हों।

साल्वे- हम अगले हफ्ते जवाब देंगे। अगस्त में सुनवाई हो

मुख्य न्यायाधीश – हो सकता है बाद में इस मामले को संविधान पीठ को सौंपने की ज़रूरत पड़े। हमें इस पर भी विचार करना चाहिए।

सॉलिसीटर- पहले एक विचारधारा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा गया। फिर बाद में दूसरे के साथ सरकार बनाई गई। उसे लेकर पार्टी के भीतर मतभेद था।

मुख्य न्यायाधीश- आप सभी लोग मंगलवार तक अपनी लिखित दलीलें जमा करवा दीजिए। मैं अब एक बेंच का गठन करूंगा।

शिंदे गुट की एक और जीत

बता दें कि 12 सांसदों के समर्थन मिलने के बाद संसद में एकनाथ शिंदे गुट को मान्यता मिल चुकी है। मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ने राहुल शेवाले को शिवसेना नेता के रूप में मान्यता दे दी है।

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