नई दिल्ली. एनआरसी के मुद्दे पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने असम सरकार के हलफनामे पर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि 40 लाख लोगों को एनआरसी में शामिल नहीं किया गया है इसका मतलब है कि प्रथम दृष्टया इन्हें विदेशी करार दिया जा सकता है. वहीं ट्रिब्यूनल्स ने केवल 52,000 लोगों को विदेशी मूल का घोषित किया है और उसमें से केवल 162 लोगों को डिपोर्ट किया गया है.
इसके बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने असम सरकार की फटकार लगाते हुए कहा कि इन आंकड़ों से तो यही लग रहा है कि सरकार खुद ही कन्फ्यूजन बढ़ा रही है. ऐसे में लोग असम सरकार पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असम में गैर कानूनी प्रवासियों की समस्या पिछले 50 सालों से है. उन्हें निर्वासित करने या स्वदेश वापस भेजने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठाए गए? ये किसी नीति के तहत है या कुछ और है?
सुप्रीम कोर्ट को जवाब देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि गैर कानूनी प्रवासियों को बाहर जाना होगा. इन गैर कानूनी प्रवासियों को बाहर करने, निर्वासित करने या स्वदेश वापस भेजने के लिए निर्देश केंद्र से लिए जाएंगे. इससे पहले फरवरी की शुरुआत में असम में एनआरसी प्रक्रिया में हुई देरी पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने गृह मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई थी. उन्होंने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि एनआरसी में हो रही देरी को देखकर ऐसा लग रहा है कि सरकार इसे नष्ट करना चाहती है.
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