Supreme Court on Loan Moratorium: सुप्रीम कोर्ट ने सरकार याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए 1 सितंबर तक का समय दिया है, जिसमें कहा गया है कि कोरोनो वायरस लॉकडाउन के दौरान लोन के ब्याज को रद्द कर दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने छूट देने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत पर्याप्त अधिकार होने के बावजूद अपना रुख स्पष्ट नहीं किया बल्कि रिजर्व बैंक के पीछे जा छुपी. इस टिप्पणी पर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि माय लॉर्ड आप यह नहीं कह सकते, हम आरबीआई के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
नई दिल्ली: लोन मोरेटोरियम की अवधि में ब्याज से छूट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई. मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पीछे नहीं छुप सकती है. केंद्र की टिप्पणी कि कारोबार और बैंक प्रभावित होंगे, सुप्रीम कोर्ट ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि आपने पूरे देश को बंद कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए 1 सितंबर तक का समय दिया है, जिसमें कहा गया है कि कोरोनो वायरस लॉकडाउन के दौरान लोन के ब्याज को रद्द कर दिया जाए. कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने छूट देने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत पर्याप्त अधिकार होने के बावजूद अपना रुख स्पष्ट नहीं किया बल्कि रिजर्व बैंक के पीछे जा छुपी. इस टिप्पणी पर तुषार मेहता ने जवाब दिया कि माय लॉर्ड आप यह नहीं कह सकते, हम आरबीआई के साथ मिलकर काम कर रहे हैं.
सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, एक ही समाधान सभी के लिए नहीं हो सकता है. इसपर कोर्ट ने कहा, आप केवल व्यवसाय में रुचि नहीं ले सकते हैं, लोगों की पीड़ाओं के बारे में भी जानना होगा.’
इस दौरान जस्टिस अशोक भूषण ने कहा, यह समस्या सरकार द्वारा लगाए गए लॉकडाउन की वजह से बनी है. यह व्यवसाय के बारे में विचार करने का समय नहीं है. लोगों की दुर्दशा के बारे में भी विचार करना होगा. आपको दो चीजों पर अपना रुख साफ करना होगा: आपदा प्रबंधन अधिनियम और ब्याज पर ब्याज का हिसाब.
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