नई दिल्ली, रेवड़ी कल्चर को लेकर चल रही बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से सख्त टिप्पणी की है, कोर्ट का कहना है कि इस रेवड़ी कल्चर का सबसे बुरा असर अर्थव्यवस्था पर हो रहा है. अदालत ने गुरुवार को कहा कि चुनावों के दौरान किए जाने वाले मुफ्त सुविधाओं के वादे […]
नई दिल्ली, रेवड़ी कल्चर को लेकर चल रही बहस के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर से सख्त टिप्पणी की है, कोर्ट का कहना है कि इस रेवड़ी कल्चर का सबसे बुरा असर अर्थव्यवस्था पर हो रहा है. अदालत ने गुरुवार को कहा कि चुनावों के दौरान किए जाने वाले मुफ्त सुविधाओं के वादे “एक गंभीर मुद्दा” बन गया है क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है.
शीर्ष अदालत ने वकील अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान ये सख्त टिप्पणी की है. इस याचिका में चुनावों के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए ‘मुफ्त’ का वादा करने वाले राजनीतिक दलों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी, वहीं याचिका में चुनाव घोषणापत्र को विनियमित करने के साथ-साथ उसमें किए गए वादों के लिए राजनीतिक दलों को जवाबदेह ठहराने के लिए उचित कदम उठाने के लिए भी कहा गया है.
बता दें, बीते दिन चुनाव आयोग ने भी रेवड़ी कल्चर से हो रहे नुकसान की गंभीरता को समझता था और कहा था कि इसे रोकने के लिए कमेटी बनाए जाने की ज़रूरत है.
पीएम मोदी ने बीते दिन रेवड़ी कल्चर पर आम आदमी पार्टी को घेरते हुए कहा ऐसे लोगों की मानसिकता को समझना बहुत ज़रूरी है. अगर राजनीति में ही स्वार्थ होगा, तो कोई भी आकर पेट्रोल-डीजल भी मुफ्त देने की घोषणा कर सकता है, ऐसे कदम हमारे बच्चों से उनका हक छीनेंगे, देश को आत्मनिर्भर बनने नहीं देंगे. ऐसी स्वार्थ भरी नीतियों से देश के ईमानदार टैक्स पेयर का बोझ तो बढ़ता ही रहेगा, इसलिए इन लोगों से सावधान रहने की ज़रूरत है.
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