Supreme Court on Farmer’s Protest कृषि कानूनों के खिलाफ बीते एक साल से किसानों का आंदोलन जारी है, इस दौरान सरकार और किसानों की कई दौर की वार्ताएं भी हुई लेकिन फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला. किसान रास्तों पर कब्जा कर आंदोलन कर रहे हैं, जिससे लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ […]
कृषि कानूनों के खिलाफ बीते एक साल से किसानों का आंदोलन जारी है, इस दौरान सरकार और किसानों की कई दौर की वार्ताएं भी हुई लेकिन फिर भी कोई नतीजा नहीं निकला. किसान रास्तों पर कब्जा कर आंदोलन कर रहे हैं, जिससे लोगों को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में, कुछ स्थानीय लोगों ने आंदोलन के दौरान कई महीनों से बंद हाइवे की कम से कम एक लेन खोलने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court on Farmer’s Protest ) ने इस मामले की सुनवाई करने से साफ़ इनकार कर दिया.
इस मामले में सुनवाई करने में हाईकोर्ट सक्षम : सुप्रीम कोर्ट
किसान आंदोलन के चलते रास्ते बंद होने की वजह से लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पास में जाने के लिए भी रास्ते बंद होने की वजह से लम्बी दूरी तय करनी पड़ रही है. इसी क्रम में कुछ स्थानीय लोगों ने बॉर्डर खुलवाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की. अब इस याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ़ इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, “यह मानवीय मुद्दा है. इसे सोनीपत के लोगों की तरफ से उठाया गया है. लेकिन इसमें हम सिर्फ इसलिए हस्तक्षेप नहीं कर सकते, क्योंकि हम यहां हैं. अगर कर्नाटक और तमिलनाडु में बॉर्डर पर कोई समस्या होती है, तो क्या हम हस्तक्षेप करेंगे? सुप्रीम कोर्ट को सहारे के लिए पहला दरबार ना बनाए, इसके लिए हाई कोर्ट सक्षम है. स्थानीय नागरिकों, बीमार, जरूरतमंदों को अपनी दिक्कतों के लिए हाईकोर्ट के पास जाना चाहिए. ऐसे मामलों को पहले सुनने और निपटाने के लिए हाईकोर्ट काफी सक्षम हैं.”
इस मामले पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि, “आप हाईकोर्ट क्यों नहीं जाते? आप हाईकोर्ट में गुहार लगाएं. वहां आमजन की रोजमर्रा की दिक्कतों पर गौर होगा. राज्य सरकार भी वहां बेहतर जवाब देगी.”
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