Supreme Court On Delhi Pollution: दिल्ली की जहरीली हवा और प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर सख्त टिप्पणी की है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के ऑड इवन के फॉर्मूले पर भी सवाल खड़े किए हैं और पूछा है कि इससे क्या फायदा होगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से शुक्रवार तक लागू ऑड ईवन से होने वाले फायदों से जुड़ा डेटा कोर्ट में पेश करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डीजल व्हीकल बैन करना समझ आता है लेकिन ऑड ईवन क्या है?
नई दिल्ली. Supreme Court On Delhi Pollution: दिल्ली की जहरीली हवा और प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार पर सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने इस स्थिति को इंदिरा गांधी की इमरजेंसी से भी बदतर बताया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के ऑड इवन के फॉर्मूले पर भी सवाल खड़े किए हैं और पूछा है कि इससे क्या फायदा होगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से शुक्रवार तक लागू ऑड ईवन से होने वाले फायदों से जुड़ा डेटा कोर्ट में पेश करने को कहा है. दिल्ली सरकार ने कहा है कि सड़क पर कम संख्या में गाड़ी होने से प्रदूषण कम फैल रहा है, लोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर कर रहे हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डीजल व्हीकल बैन करना समझ आता है लेकिन ऑड ईवन क्या है? पिछले साल आपने कहा था 3000 बस आएंगी, लेकिन सिर्फ 120 ही आईं.
जस्टिस अरुण मिश्रा ने ओड ईवन पर पूछा. कोर्ट को बताया गया कि दो पहिया वाहनों को इजाजत दी गई है. जस्टिस मिश्रा ने कहा कि लोग को यात्रा करनी है लोग करेंगे अगर ऑटो से प्रदूषण फैल रहा है तो क्या फायदा. आप यात्रा करेंगे, करना ही है. चाहे टैक्सी से या ऑटो से. जस्टिस मिश्रा ने पूछा आप कार रोक कर क्या हासिल कर लेंगे? सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा आप ऑड ईवन से क्या हासिल कर लेंगे? दिल्ली सरकार ने कहा कि कम मात्रा में गाड़िया सड़को पर आएगी. जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा आप क्या उद्देश्य हासिल कर लेंगे ऑड ईवन को लेकर? जाने वाले जायेगे चाहे ऑटो से या कार से. जस्टिस अरुण मिश्रा ने दिल्ली सरकार से ओड ईवन को लेकर डिटेल रिपोर्ट देने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि लोग एयरपोर्ट मेट्रो से नही जाते मैंने कई बार मेट्रो खाली जाते देखा है.
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा कि इंस्ट्रक्शन भी मुख्य वजह है प्रदूषण के लिए. EPCA 40 फ़ीसदी पराली के वजह से प्रदूषण है. बाकी 60 फ़ीसदी दिल्ली की अपनी है. जिसमें कंस्ट्रक्शन, कूड़ा जलाना आदि है. इसके बाद जस्टिस अरुण मिश्रा ने आदेश लिखवाना शुरू किया. अरुण मिश्रा ने कहा दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण का हाल हर साल दिल्ली में ऐसा ही होता है.ये चोंकाने वाला है और परेशान करने वाला है. क्योंकि की ये राइट टूलाइफ का उल्लंघन है. लोगों को ये कहा जा रहा है कि आप दिल्ली न आये या दिल्ली से बढ़ते प्रदूषण की वजह से यहाँ से चले जाएं. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली राजधानी है, हम ऐसा स्थिति क्यों नही बनाते की ऐसी परिस्थिति न हो. राज्य सरकार और सिविल बॉडी फेल है.
ऑड ईवन परकोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि पिछले समय जब ऑड ईवन लागू हुआ था उस समय क्या डेटा था. कोर्ट ने पूछा कि क्या ऑड ईवन के समय टैक्सी और ऑटो ज्यादा चलते है? कोर्ट ने शुक्रवार तक जवाब मांगा. दिल्ली एनसीआर में कोई भी व्यक्ति कंस्ट्रक्शन, डेमोलिशन में लिपट पाया जाता है तो उसपर 1 लाख का जुर्माना लगेगा. कोर्ट ने कहा कि कूड़ा जलाने पर 5 हज़ार का जुर्माना लगेगा. सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट्स के हाई लेवल कमिटी को आज ही बैठक करने को कहा कि पराली जलाने पर रोक कैसे लगाई जाए. बुधवार तक रिपोर्ट दाखिल करने होगा.