नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आज सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। केजरीवाल दिल्ली शराब घोटाला मामले में सीबीआई के केस में जेल में बंद थे। इस बीद कोर्ट का एक टिप्पणी चर्चा में आ गई है। केजरीवाल को जमानत देते हुए जस्टिस भुइयां ने कहा सीबीआई को पिंजरे में बंद तोते की छवि से बाहर निकलना होगा और दिखाना होगा कि अब वह पिंजरे में बंद तोता नही है। आपको बता दें इस टिप्पणी की इतनी चर्चा इसलिए हो रही है क्योकि ठीक 11 साल पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सीबीआई को तोते की छवि से मुक्त होना पड़ेगा।
9 मई 2013 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएम लोढ़ा, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की बेंच ने सीबीआई को पिंजरे में बंद तोता कहा था। उस समय सुप्रीम कोर्ट में कोयला घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई हो रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था, ‘सीबीआई पिंजरे में बंद तोता है। इस तोते को आजाद करना जरूरी है। सीबीआई को अपनी स्वायत्तता बनाए रखनी चाहिए। सीबीआई को तोते की तरह अपने मालिक की बातें नहीं दोहरानी चाहिए। ‘
सुप्रीम कोर्ट सीबीआई के जरिए तत्कालीन कोयला मंत्री अश्विनी कुमार पर निशाना साधा था। सुप्रीम कोर्ट को इस बात पर सख्त आपत्ति थी कि कोयला घोटाले की स्टेटस रिपोर्ट किसी और को क्यों दिखाई गई। बेंच ने सीबीआई डायरेक्टर रंजीत सिन्हा के 9 पेज के हलफनामे पर तीन घंटे तक विचार करने के बाद यह टिप्पणी की।
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