Supreme Court On Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या राम मंदिर जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आज एक अहम फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि विवाद कोर्ट की निगरानी में मध्यस्थता से सुलझाने की कोशिश की जाए. इसके लिए मध्यस्थों के नाम भी कोर्ट ने बता दिए हैं.
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला लिया है कि अयोध्या राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद मध्यस्थता से सुलझाने की कोशिश की जाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा जाएगा. मध्यस्थता के लिए तीन सदस्यों का पैनल गठित किया है. इसके लिए मध्यस्थ एक हफ्ते में काम शुरू कर सकते हैं. साथ ही कहा गया है कि 8 हफ्तों में इसे पूरा करना होगा. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मध्यस्थता फैजाबाद में होगी और मध्यस्थ एक सप्ताह के भीतर शुरू कर सकते हैं.
मध्यसथों के पैनल की अगुवाई अध्यक्ष के रूप में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला करेंगे. इनके साथ श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू इस पैनल में शामिल होंगे. आदेश के मुताबिक शुक्रवार से एक हफ्ते में मध्यस्थता शुरू की जानी है और उन्हें 8 सप्ताह में मध्यस्थता पूरी करने के लिए कहा गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया में मध्यस्थता कार्यवाही की रिपोर्टिंग करने पर रोक लगा दी है. साथ ही कहा है कि जरूरत पड़ने पर पैनल और मध्यस्थों का भी सहयोग इसमें ले सकता है. यूपी सरकार को मध्यस्थता के लिए फैजाबाद में सुविधाएं प्रदान करनी होंगी. मध्यस्थता कैमरे की निगरानी में आयोजित की जाएगी. मध्यस्थ कानूनी सहायता ले सकते हैं.
बता दें कि हिंदू पक्ष ने मध्यस्थता का विरोध किया था. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले कहा था कि मध्यस्थता की जरूरत नहीं है वो जमीन हमारी है. वहीं मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि हमें कोर्ट का फैसला मंजूर होगा. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट, चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुआई वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने मध्यस्थता के आदेश दिए हैं.