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नवलखा, सुधा, वरवर समेत पांच एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट बोला- असहमति की आवाज सेफ्टी वॉल्व है

बीते मंगलवार को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में देशव्यापी छापेमारी में अर्बन नक्सल होने के आरोप में गिरफ्तार पांचों एक्टिविस्टों की रिमांड पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और उन्हें 5 सितंबर तक के लिए घर के अंदर नजरबंद करने का आदेश दिया है. सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- ‘Dissent is the safety valve of democracy. If dissent is not allowed then the pressure cooker may burst’ जिसका मतलब है असंतोष लोकतंत्र का सुरक्षा वाल्व है. अगर असंतोष की इजाजत नहीं दी गई तो दबाव बनने से कुकर फट सकता है.

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supreme court
  • August 29, 2018 6:43 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में देशव्यापी छापेमारी में अर्बन नक्सल होने के आरोप में गिरफ्तार पांच एक्टिविस्टों जिनमें लेखक गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, वरवर राव, अरुण फरेरा और वर्नॉन गोन्जाल्विस शामिल हैं, उनकी रिमांड पर रोक लगा दी है. 5 सितंबर तक इनको घर के अंदर नजरबंद रखा जाएगा. मामले में सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को दोबारा सुनवाई करेगा. इतिहासकार रोमिला थापर,  सतीश देशपांडे, प्रभात पटनायक, माया दर्नाल वगैरह की ओर से डाली गई याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जिस तरह से पांच कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था उसपर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि लोकतंत्र में असंतोषजनक आवाज को कुचला नहीं जाना चाहिए. सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा- ‘Dissent is the safety valve of democracy. If dissent is not allowed then the pressure cooker may burst’ यानि असंतोष लोकतंत्र का सुरक्षा वाल्व है. अगर असंतोष की अनुमति नहीं है तो दबाव से कुकर फट सकता है.

बता दें कि गौतम नवलखा को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया और ट्रेड यूनियन एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज को फरीदाबाद से गिरफ्तारी के बाद मंगलवार को ही हाईकोर्ट ने उन्हें घर पर नजरबंद रखने का आदेश देते हुए पुणे ले जाने पर रोक लगा दी थी. वहीं मंगलवार को ही कुल 5 लोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण, अभिषेक मनु सिंघवी सुप्रीम और अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

वहीं भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तारी पर सुनवाई के समय राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग  ने महराष्ट्र सरकार को नोटिस भेजा है. आयोग का कहना था कि गिरफ्तारी में नियमों का पालन नहीं किया गया. बता दें कि कोरेगांव हिंसा की जांच का दायरा बढ़ा तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीकी हत्या की साजिश की बात भी सामने आई.
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