उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि कोर्ट पूजा पद्धति में कोई दखल नहीं देगा. शीर्ष अदालत केवल शिवलिंग को सुरक्षित और संरक्षित रखने को लेकर निर्देश दे सकता है. कोर्ट ने कहा कि भस्म आरती कैसे हो यह हमारा मामला नहीं है.
नई दिल्लीः मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित भगवान शिव के द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साफ कर दिया कि कोर्ट मंदिर की पूजा पद्धति में कोई दखल नहीं देगा. शीर्ष अदालत ने साफ किया कि मंदिर में पूजा अर्चना कैसे होगी ये तय करना हमारा काम नहीं है, कोर्ट ने कहा कि हम केवल शिवलिंग को सुरक्षित रखने को लेकर चिंतित है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती कैसे होगी ये हम तय नही करेंगे और ना ही दूसरी महाकालेश्वर मंदिर पूजा पद्धति में दखल देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय केवल महाकालेश्वर शिवलिंग को सुरक्षित और संरक्षित रखने को लेकर दिशा निर्देश दे सकता है. बता दें कि उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर प्रबंधन समिति को तुरंत वो नोटिस बोर्ड हटाने को कहा जिसमें लिखा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर पूजा के नियम बनाए गए हैं.
कोर्ट ने यह भी कहा था कि महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती कैसे हो, इससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कोर्ट को महाकालेश्वर मंदिर और पूजा के रीति रिवाजों से कोई लेना देना नहीं है. कोर्ट ने इस आदेश को गुरुवार को भी सुरक्षित रखा.
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