नई दिल्ली: शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीएम एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक 37 विधायकों को नोटिस जारी कर 2 हफ्ते में जवाब मांगा है। उद्धव गुट के विधायक सुनील प्रभु की याचिका में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर के फैसले को चुनौती दी गई है। बता दें कि 10 जनवरी 2024 को दिए फैसले में स्पीकर ने सीएम शिंदे समर्थक विधायकों को अयोग्य करार देने से मना कर दिया था और साथ ही शिंदे गुट को असली शिवसेना माना था।
जिसके पश्चात उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। बता दें कि शीर्ष अदालत के समक्ष दायर याचिका में सीएम शिंदे और उनके खेमे के अन्य विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज(Supreme Court News) करने पर भी सवाल उठाया गया है। दरअसल, इन पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप था।
जानकारी दे दें कि स्पीकर ने 10 जनवरी को कहा कि शिंदे के नेतृत्व वाला समूह ही असली शिवसेना है क्योंकि इसके पास विधायिका और पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी बहुमत है। वहीं नार्वेकर ने 2018 में ठाकरे द्वारा नेतृत्व संरचना में बदलावों को भी खारिज कर दिया और कहा कि वे 1999 के शिवसेना संविधान के अनुरूप नहीं थे। इस दौरान न ही चुनाव आयोग के पास इन संशोधनों का कोई रिकॉर्ड था।
बता दें कि इसके अलावा अध्यक्ष ने कहा- तत्कालीन मुख्य सचेतक सुनील प्रभु ने पद पर बने रहने की पार्टी की इच्छा को प्रतिबिंबित नहीं किया। दरअसल, 21 जून 2022 को पार्टी में प्रतिद्वंद्वी गुट के उभरने के बाद नए मुख्य सचेतक भरत गोगावले वैध रूप से निर्वाचित(Supreme Court News) मुख्य सचेतक थे।
वहीं उद्धव ठाकरे के लिए स्पीकर का बहुप्रतीक्षित फैसला एक बड़ा झटका था। जिन्होंने अपने पिता दिवंगत बालासाहेब ठाकरे द्वारा स्थापित मूल शिवसेना को शिंदे के हाथों खो दिया। बता दें कि विधानसभा अध्यक्ष द्वारा दोनों पक्षों की क्रॉस-याचिकाएं खारिज किए जाने के साथ ठाकरे के 13 विधायकों के विधायक समूह, जिनमें उनके बेटे और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे भी शामिल हैं।
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