नई दिल्ली. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और दिल्ली के मुख्यमंत्री सहित 21 विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी कि लोकसभा चुनाव 2019 की 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों को ईवीएम से मिलाया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया. याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वो कुल इस्तेमाल की जा रही EVM और VVPAT में से 50 प्रतिशत EVM में दर्ज मतों और उनकी जोड़ीदार VVPAT में मौजदू पर्चियों का औचक मिलान किया जाए.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई 25 मार्च को करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कहा कि अगली सुनवाई में चुनाव आयोग का एक अधिकारी कोर्ट में मौजूद रहे. जनवरी में आम आदमी पार्टी ने मांग की थी कि लोकसभा चुनाव 2019 में मतदान बैलेट पेपर से करवाया जाए. दरअसल जनवरी में एक अमेरिकी हैकर ने दावा किया था कि ईवीएम मशीनों को हैक करना आसान है. इसी के बाद बैलट पेपर से मतदान की मांग उठी.
आम आदमी पार्टी, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने पिछले महीने इस बारे में एक ज्ञापन चुनाव आयोग को सौंपा था. इस ज्ञापन में संदेहास्पद गतिविधियों के बारे में बताया गया था कि नवंबर-दिसंबर में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में गड़बड़ी हुई है. ज्ञापन में कहा था कि विधानसभा चुनावों के दौरान ईवीएम और ईवीएम रखे जाने वाले स्ट्रॉन्ग रूम के असुरक्षित होने और उससे छेड़छाड़ की खबरें आई हैं. ज्ञापन में खबरों के हवाले से कहा गया है कि स्ट्रॉन्ग रूम में बिजली नहीं थी और सीसीटीवी भी काम नहीं कर रहा था.
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