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दिल्ली शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी को जारी किया नोटिस

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाले के संबंध में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में जमानत के लिए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की याचिका पर मंगलवार को नोटिस जारी किया है.

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दिल्ली शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी को जारी किया नोटिस
  • July 16, 2024 4:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली शराब घोटाले के संबंध में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत दर्ज मामलों में जमानत के लिए दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की याचिका पर मंगलवार को नोटिस जारी किया है. वहीं न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने सीबीआई और ईडी से जवाब मांगा, जिन्होंने उनके खिलाफ मामले दर्ज किए हैं.

आप नेता की तरफ से पेश होते हुए वकील विवेक जैन ने पीठ को सूचित किया कि सिसोदिया पिछले 16 महीनों से जेल में हैं और मुकदमा उस चरण से आगे नहीं बढ़ पाया है, जिस पर अक्टूबर 2023 में था. तब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत खारिज कर दी थी. याचिका में कहा गया है कि यदि मुकदमे में कोई प्रगति नहीं होती है तो उसे एक बार फिर से इस पर विचार करने की छूट दी जाए.

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर 2023 को सिसोदिया को जमानत देने से इनकार कर दिया था. हालांकि इसने ईडी द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए कुछ आरोपों पर संदेह जताया, वहीं अदालत ने कहा कि सामग्री और सबूत हैं जो अस्थायी रूप से इनमें से एक का समर्थन करते हैं. धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के तहत आरोप है. आरोप के अनुसार 14 थोक वितरकों ने लगभग 10 महीने की अवधि में 338 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ अर्जित किया था, इस दौरान नई उत्पाद शुल्क नीति लागू थी.

इसके बाद अदालत ने 10 अक्टूबर के आदेश की समीक्षा की मांग करने वाली याचिकाएं भी खारिज कर दीं. 4 जून 2024 को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा यह आश्वासन दिए जाने के बाद कि उनके खिलाफ अंतिम आरोपपत्र/अभियोजन शिकायत 3 जुलाई तक दायर की जाएगी, SC की एक अवकाश पीठ ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. वहीं आश्वासन पर ध्यान देते हुए शीर्ष अदालत की पीठ ने इसका निपटारा कर दिया और कहा कि आरोपपत्र दाखिल होने के बाद सिसौदिया इसे पुनर्जीवित कर सकते हैं.

इसके बाद मामला जस्टिस संजीव खन्ना, संजय करोल और संजय कुमार की तीन जजों की बेंच के सामने आया. हालांकि न्यायमूर्ति संजय कुमार ने सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसके बाद इसे मंगलवार को न्यायमूर्ति गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष रखा गया. कोर्ट अब इस मामले पर 29 जुलाई को सुनवाई करेगा.

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