चुनावी माहौल में फ्रीबीज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सख्त, लोगों ने दी अपनी राय

नई दिल्ली। देश भर में 19 अप्रैल 2024 से लोकसभा चुनाव शुरू होने वाले हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के द्वारा फ्रीबीज यानि कि मुफ्त सौगातों और सुविधाओं का वादा करने के चलन के खिलाफ एक जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है। ये महत्वपूर्ण कदम लोकसभा […]

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चुनावी माहौल में फ्रीबीज के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट सख्त, लोगों ने दी अपनी राय

Nidhi Kushwaha

  • March 21, 2024 8:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 8 months ago

नई दिल्ली। देश भर में 19 अप्रैल 2024 से लोकसभा चुनाव शुरू होने वाले हैं। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के द्वारा फ्रीबीज यानि कि मुफ्त सौगातों और सुविधाओं का वादा करने के चलन के खिलाफ एक जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है। ये महत्वपूर्ण कदम लोकसभा चुनाव से पहले उठाया गया है।

यही नहीं सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका में कहा गया है कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए लुभावने उपायों पर पूरी तरह बैन लगाया जाना चाहिए, क्योंकि वे संविधान का उल्लंघन करते हैं। इसी फ्रीबीज यानि कि मुफ्त सौगातों और सुविधाओं का वादा करने के चलन को लेकर आईटीवी नेटर्वक द्वारा सर्वे किया गया है। जिसमें लोगों ने फ्रीबीज योजनाओं को लेकर अपने अनुभव और विचार साझा किए हैं।

1. सर्वे में सबसे पहला सवाल पूछा गया कि क्या चुनाव के दौरान फ्रीबीज यानी मुफ़्त की योजनाओं की घोषणा बंद होनी चाहिए ?
इस सवाल के जवाब में 75.89 फीसदी लोगों ने ये कहा कि चुनाव के दौरान होने वाली फ्रीबीज यानी मुफ़्त की योजनाओं की घोषणा बंद होनी चाहिए। वहीं 22. 61 फीसदी लोगों का कहना है कि मुफ़्त की योजनाओं की घोषणा बंद नहीं होनी चाहिए। जबकि 1. 50 फीसदी लोगों ने कहा कि कुछ कह नहीं सकते।

2. सर्वे में दूसरा सवाल पूछा गया कि फ्रीबीज यानी मुफ़्त की योजनाओं के ऐलान से किसका फ़ायदा होता है ?
इस सवाल के जवाब में 54.28 फीसदी लोगों ने ये माना है फ्रीबीज यानी मुफ़्त की योजनाओं के ऐलान से राजनीतिक दलों का फायदा होता है। इसके अलावा 30.65 फीसदी लोगों का कहना है कि ऐसी घोषणाओं से आम लोगों को फायदा होता है। वहीं 14.57 फीसदी लोगों ने कहा कि इससे किसी को फायदा नहीं है, जबकि 0.50 फीसदी लोगों ने कुछ नहीं कहा।

3. सर्वे में तीसरा प्रश्न पूछा गया कि मुफ़्त की योजनाओं के ऐलान पर रोक की पहल किसको करनी चाहिए ?
इस सवाल के जवाब में 11.55 फीसदी लोगों ने कहा कि मुफ़्त की योजनाओं के ऐलान पर राजनीतिक दलों को रोक लगानी चाहिए। वहीं 31.67 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इस प्रकार की योजनाओं के ऐलान पर चुनाव आयोग को रोक लगानी चाहिए। इसके अलावा 4.02 प्रतिशत लोगों ने जवाब दिया कि संसद को इन योजनाओं के ऐलान पर रोक लगानी चाहिए, जबकि 40.70 प्रतिशत लोगों ने ये माना कि मुफ्त की योजनाओं के ऐलान पर रोक की पहल सुप्रीम कोर्ट को करनी चाहिए। इसके अलावा 12.06 प्रतिशत लोगों ने कुछ भी नहीं कहा।

4.सर्वे में चौथा प्रश्न पूछा गया कि मुफ़्त की योजनाओं के ऐलान के कल्चर को किस दल ने ज़्यादा बढ़ाया है?
इस सवाल के जवाब में 25.14 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मुफ़्त की योजनाओं के ऐलान के कल्चर को कांग्रेस दल ने ज्यादा बढ़ाया है। वहीं 41.20 प्रतिशत लोगों ने इस सवाल के जवाब में बीजेपी दल का नाम लिया। इसके अलावा 24.12 प्रतिशत लोगों ने मुफ्त की योजनाओं के ऐलान के कल्चर को बढ़ाने का जिम्मेदार क्षेत्रीय दल को बताया, जबकि 9.54 प्रतिशत लोगों ने कुछ भी कहने से मना कर दिया।

 

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